दहलीज की बंदिशों को पार करते हुए हर क्षेत्र में महिलाओं ने बनाई अपनी प्रभावी जगह
बीते कुछ वर्षों में महिलाओं का प्रदर्शन हर क्षेत्र में पहले से बेहतर देखने को मिला है। इसमें सरकार का सहयोग भी बढ़ा है। महिलाओं के उत्थान के लिए सरकार ने जो पहल की उसके अब परिणाम सामने दिखाई दे रहे हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। चूल्हा-चौका से लेकर अनंत अंतरिक्ष के अपरिमित ज्ञान की बात हो या खेतीबारी से लेकर युद्ध कौशल की, आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत के बूते कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। वे भगवती सरस्वती और लक्ष्मी का रूप तो हैं ही, जरूरत पड़ने पर मां दुर्गा और चंडी भी बन जाती हैं। पिछले वर्षों में महिलाओं ने दहलीज की बंदिशों को पार करते हुए हर क्षेत्र में प्रभावी जगह बनाई है। सरकार भी महिलाओं की प्रगति और सशक्तीकरण के लिए कई योजनाओं का संचालन कर रही है। नए साल में आधी आबादी की कई उम्मीदें साकार होती दिखाई दे रही हैं...
स्वास्थ्य
महिलाओं की सेहत में सुधार के लिए सरकार जननी सुरक्षा व मातृ वंदना योजना समेत अन्य का संचालन कर रही है। गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए अस्पताल लाने और वापस भेजने के लिए मुफ्त एंबुलेंस सेवा प्रदान की जा रही है। इस काम में गांव की आशा मदद करती है। प्रसव के बाद जच्चा व बच्चा की समुचित देखभाल के लिए आर्थिक मदद भी की जाती है। नए साल में इन योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
देश में बाल लिंगानुपात यानी प्रति 1000 लड़कों के सापेक्ष लड़कियों की संख्या वर्ष 1991 में 945 थी, जो वर्ष 2011 में घटकर 918 रह गईर्। लिंगानुपात को संतुलित करने और बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने वर्ष 2015 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की। इसका लाभ भी मिला। वर्ष 2018-19 में लिंगानुपात बढ़कर 931 हो गया। अब इस योजना का संचालन देश के 631 जिलों में किया जा रहा है। उच्च शिक्षा के मामले में तो बेटियों का दबदबा है। स्नातक और तकनीकी शिक्षा के मामले में भी बेटियां आगे बढ़ रही हैं। नए साल में खुलने वाले नए शिक्षण संस्थान बेटियों के लिए शिक्षा एवं रोजगार के अवसरों का सृजन करेंगे।
खेतीबारी
वर्ष 2001 के बाद कृषि कार्यों में महिलाओं की सहभागिता तेजी से बढ़ी है। आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्र की 80 फीसद से ज्यादा महिलाएं खेतों में काम करती हैं। इनमें 33 फीसद महिलाएं तो खेतिहर मजदूर हैं, जबकि 48 फीसद के पास अपना काम है। खेतीबारी के 18 फीसद काम महिलाएं ही करती हैं। महिलाओं की बढ़ती सहभागिता को देखते हुए केंद्र सरकारने देशभर के 668 कृषि विज्ञान केंद्रों में महिला विज्ञानी की नियुक्ति को अनिवार्य कर दिया है। प्रगतिशील महिला किसानों के सम्मान में 15 अक्टूबर को महिला किसान दिवस मनाया जाता है। इस साल सरकार महिला किसानों के हित में विशेष एलान कर सकती है।
सुरक्षा
महिला अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने कई पहल की है। निर्भया फंड की स्थापना करते हुए जहां पुलिस में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर बल दिया गया है, वहीं सार्वजनिक वाहनों में पैनिक बटन आदि की व्यवस्था करने की पहल हुई है। महिलाओं के लिए हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत की गई। अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की गई। वहीं दुष्कर्म जैसे अपराध के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया गया। उम्मीद है कि नए साल में महिला सुरक्षा उपायों महिला के लिए अधिक बजट का प्रावधान किया जाएग।
एमएसएमई
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग यानी एमएसएमई में देश की महिलाओं की भागीदारी 28.37 फीसद है। 20.44 फीसद महिलाएं सूक्ष्म, 5.26 फीसद लघु व 2.67 प्रतिशत मध्यम उद्योगका संचालन करती हैं या किसी न किसी रूप में इनसे जुड़ी हैं। महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार आने वाले वर्ष में इस क्षेत्र के बजट को बढ़ा सकती है।
राजनीतिक भागीदारी
विगत वर्षों में राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। वर्ष 2019 में सबसे ज्यादा 78 महिलाएं चुनकर लोकसभा पहुंची हैं। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं के बेहतर प्रदर्शन की संभावना है।