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Positive India: वेस्ट वाटर के दोबारा इस्तेमाल के लिए कम लागत में बनी यह तकनीक है कारगर

मौजूदा शोधन के तरीके प्रभावी नहीं हैं। क्योंकि यह तरीके बॉयोलॉजिकल ट्रीटमेंट सिस्टम पर अधिक निर्भर है जो बढ़ते प्रदूषण के भार को सहन करने में असमर्थ हैं। इसके बाद आरओ और मल्टी इफेक्ट इवेपोरेटर्स (एमईई) को शामिल करते हुए तृतीयक शोधन प्रणालियों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

By Vineet SharanEdited By: Published: Sat, 04 Sep 2021 09:45 AM (IST)Updated: Sat, 04 Sep 2021 09:46 AM (IST)
Positive India: वेस्ट वाटर के दोबारा इस्तेमाल के लिए कम लागत में बनी यह तकनीक है कारगर
एक नई तकनीक जल्द ही किफायती तरीके से अपशिष्ट जल या वेस्ट वाटर के दोबारा इस्तेमाल को बढ़ा सकती है।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। लगातार बढ़ते जल संकट के साथ, उद्योगों और उससे जुड़ी जरूरतों के लिए 'शोधित जल' का दोबारा इस्तेमाल करना जरूरी हो गया है। हालांकि मौजूदा शोधन के तरीके प्रभावी नहीं हैं। क्योंकि यह तरीके बॉयोलॉजिकल ट्रीटमेंट सिस्टम पर अधिक निर्भर है जो बढ़ते प्रदूषण के भार को सहन करने में असमर्थ हैं। इसके बाद आरओ और मल्टी इफेक्ट इवेपोरेटर्स (एमईई) को शामिल करते हुए तृतीयक शोधन प्रणालियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इन प्रणालियों में कार्बन फुट प्रिंट और रख-रखाव की लागत बहुत अधिक होती है, जिससे अपशिष्ट जल का शोधन टिकाऊ और कारगर नहीं हो पाता है। इन शोधकर्ताओं ने मौजूदा प्रणालियों में नए दृष्टिकोण और उन्नत प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने की आवश्यकता महसूस की है।

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एक नई तकनीक जल्द ही किफायती और टिकाऊ तरीके से अपशिष्ट जल या वेस्ट वाटर के दोबारा इस्तेमाल को बढ़ा सकती है। यूवी-फोटोकैटलिसिस पर आधारित यह तकनीक नगरपालिका के सीवेज और औद्योगिकी इकाइयों से निकलने वाले अत्यधिक प्रदूषित अपशिष्ट जल का शोधन कर सकती है और एक तकनीकी विकल्प के रूप में औद्योगिकी इकाइयों एवं नगरपालिका के इस शोधित जल के दोबारा इस्तेमाल को बढ़ावा दे सकती है।

द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली ने द एडवांस्ड ऑक्सीडेशन टेक्नोलॉजी या TADOX® नामक एक तकनीक विकसित की है जो 'बॉयोलॉजिकल और तृतीयक शोधन प्रणालियों पर निर्भरता और दबाव को कम कर सकती है और जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) हासिल करने में मदद कर सकती है। यह औद्योगिक अपशिष्ट जल शोधन के लिए जेडएलडी पर पूंजीगत खर्च को 25-30प्रतिशत और परिचालन संबंधी खर्च को 30-40प्रतिशत तक कम कर सकती है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के जल प्रौद्योगिकी इनिशिएटिव (डब्ल्यूटीआई) द्वारा समर्थित तकनीक है। इस तकनीक में यूवी फोटोकैटलिसिस का समावेश है, जो कि उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया (एओपी) के रूप में शोधन के द्वितीयक चरण में लक्षित प्रदूषकों का ऑक्सीकरण के जरिए अपघटन करता है और उन्हें खनिज तत्वों से लैस करता है।

ये हैं फायदे

यह बायोडिग्रेडेबिलिटी में सुधार करता है, जिससे झिल्लियों में जैव-प्रदूषण को रोका जा सकता है और आरओ सिस्टम की लाइफ और क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही मल्टीपल इफेक्ट इवेपोरेटर्स और मैकेनिकल वेपर रीकंप्रेशन (एमवीआर) जैसे वाष्पीकरण कर्ताओं पर दबाव बढ़ाता है। यह रासायनिक ऑक्सीजन मांग (सीओडी), जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी), घुलने वाले आर्गेनिक्स, स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों (पीओपी) और सूक्ष्म प्रदूषकों को कम कर सकता है।

TADOX® को मौजूदा शोधित प्रणालियों में एकीकृत और रेट्रोफिटेबल बनाया जा सकता है, जिससे यह आगामी और मौजूदा संरचनात्मक परियोजनाओं, टाउनशिप, वाणिज्यिक परिसरों, हरित भवनों और स्मार्ट शहरों में एक नई विकेंद्रीकृत अपशिष्ट जल उपचार प्रौद्योगिकी (डीडब्ल्यूटीटी) के रूप में एक व्यवहारिक विकल्प बन सकती है। 


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