ड्रग तस्करी पर हुआ करारा प्रहार, आठ वर्षों में 26 गुना बढ़ी बरामदगी; मोदी सरकार ने ऐसा बनाई योजना
War Against Drug आतंकवाद के साथ ही नशे का जंजाल भारत के लिए एक बड़ी समस्या रही है। मोदी सरकार ने इसके लिए बिना किसी राजनीतिक लाग-लपेट के राज्यों के साथ एक पुख्ता योजना तैयार की। इससे ड्रग तस्करों पर करारी चोट हुई।
नई दिल्ली, नीलू रंजन। मोदी सरकार में आतंकवाद के खिलाफ सर्जिकल और एयर स्ट्राइक जैसे कड़े फैसलों की चर्चा बहुत हो चुकी है। लेकिन देश की युवा शक्ति को खोखला करने वाले ड्रग के खिलाफ मोदी सरकार के आठ सालों के दौरान हुई कारगर कार्रवाई के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ड्रग कारोबार के खिलाफ मोदी सरकार के आठ सालों के दौरान हुई कार्रवाई की तुलना यदि उसके पहले के आठ वर्षों में हुई कार्रवाई से करें तो पकड़े गए ड्रग की मात्रा से लेकर तस्करों की गिरफ्तारी तक में कई गुना बढ़ोतरी हुई है।
आंकड़ों के हिसाब से देखें तो मोदी सरकार से पहले के आठ सालों 2006 से 2013 के बीच ड्रग तस्करी के कुल 1257 मामले दर्ज किये गए थे, जो 2014 से 2022 के बीच 152 प्रतिशत बढ़कर 3172 तक पहुंच गए। इस दौरान गिरफ्तार आरोपियों की संख्या 260 प्रतिशत बढ़कर 1363 से 4,888 हो गई। जब्त किये गए ड्र्ग की मात्रा भी 1.52 लाख किलोग्राम से बढ़कर 3.33 लाख किलोग्राम, लगभग दोगुनी हो गई। बड़ी बात यह कि हेरोइन, कोकीन, केटामाइन, मेफेड्रोन जैसे ज्यादा घातक ड्रग अधिक मात्रा में पकड़े जा रहे हैं। 2014 के पहले के आठ सालों में मार्फिन 71 किलोग्राम, हेरोइन 1606 किलोग्राम, केटामाइन 216 किलोग्राम की तुलना में 2014 के बाद क्रमशः 616 किलोग्राम, 3899 किलोग्राम और 784 किलोग्राम जब्त की गईं। इसी तरह ड्रग से जुड़े मामलों में 2014 के पहले के आठ सालों में 768 करोड़ रुपये की तुलना में 2014 के बाद 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती हुई है।
पिछले आठ वर्षों में ड्रग के धंधे पर जिस तरह से काबू किया गया उसकी कहानी रोचक है जो कि प्रधामंत्री मोदी के ड्रग मुक्त भारत के आव्हान के बाद से गृह मंत्रालय ने रची। इसे ‘वार अगेंस्ट ड्रग” कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगा, जिसमें तंत्र के सभी स्टेकहोल्डर्स की भागेदारी रही। जहां एक ओर जांच एजेंसियों को चाक चौबंद किया गया, वहीं दूसरी ओर अप्रासंगिक हो चुके कानूनों में सुधार के साथ विभिन्न राज्यों और अन्तराष्ट्रीय संस्थाओ के साथ समन्वय को मजबूत किया गया।
अहम बात यह है कि पहले जहां सिर्फ छोटे ड्रग सप्लायर पकड़े जाते थे, वहीं अब बड़े सप्लायर पर शिकंजा कसने लगा है। साथ ही डार्कनेट पर एन्क्रिप्टेड मैसेज और क्रिप्टोकैरेंसी वाले हाइटेक सप्लायर्स पर भी शिकंजा कसने लगा है। इसी साल अफगानिस्तान से भारत में बड़ी मात्रा में हेरोइन सप्लाई करने वाले कई बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ। इससे जुड़े दिल्ली के शाहीन बाग स्थित एक गोदाम से 1500 करोड़ रुपये की 150 किलोग्राम हेरोइन जब्त हुई। इसी तरह हैदराबाद में इंटरनेट फार्मेसी का भंडाफोड़ किया गया, जो अमेरिका तक डाक के मार्फत मादक द्रव्यों की सप्लाई करता था।
ड्रग के खिलाफ लड़ाई में आतंक के खिलाफ कार्रवाई के लिए बनाया गया मल्टी एजेंसी कोआर्डिनेशन सेंटर काफी मददगार साबित हो रहा है। आतंक से जुड़ी सूचनाएं एजेंसियों के बीच रियल टाइम आदान-प्रदान करने के लिए खुफिया ब्यूरो में इसका गठन किया गया था। गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश के बाद इसकी सीमा में विस्तार करते हुए ड्रग से जुड़ी सूचनाओं को भी शामिल कर लिया गया। रियल टाइम में सूचनाओं के आदान-प्रदान से ड्रग तस्करों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई के साथ ही डार्कनेट और क्रिप्टोकैटो कैरेंसी का इस्तेमाल करने वाले तस्करों के खिलाफ भी ज्यादा कारगर साबित हो रहा है।
ड्रग के खिलाफ लड़ाई को मोदी सरकार ने राजनीति टकरावों से दूर रखा है। विपक्ष शासित समेत सभी राज्यों में ड्रग तस्करी के खिलाफ जिला, राज्य और केंद्र के स्तर तक एक पुख्ता ढांचा तैयार किया गया है। इसके तहत सभी एजेंसियों को सम्मिलत करते हुए नारको कोआर्डिनेशन सेंटर का गठन किया गया है। इसकी जिले में हर महीने और राज्य में तीन महीने में बैठक होती है। राष्ट्रीय स्तर पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, राज्य कोओर्डिनेशन सेंटरों के साथ समन्वय करता है। साथ ही सभी राज्यों को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक या पुलिस निदेशक के नेतृत्व में नारकोटिक्स टास्क फोर्स गठित करने को कहा गया है। यह टास्कफोर्स राज्य में नारको कोआर्डिनेशन सेंटर के लिए सचिवालय का भी काम करता है। इससे पूरे देश में ड्रग के खिलाफ लड़ाई को नई धार मिली है। साथ ही ड्रग तस्करी पर पूरी तरह लगाम लगाने के लिए पुलिस अनुसंधान व विकास ब्यूरो नया डाटाबेस तैयार कर रहा है। इसे सभी एजेंसियों के साथ शेयर किया जाएगा। ड्रग तस्करों की गतिविधियों पर पूरी तरह से नजर रखने में यह कारगर साबित हो सकता है।
ड्रग के खिलाफ लड़ाई में केंद्र द्वारा संबंधित विभागों के बीच समन्वय भी बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए रसायन व उर्वरक मंत्रालय, फार्मास्यूटिकल डिपार्टमेंट, जहाजरानी मंत्रालय, भारतीय तटरक्षक बल, डीआरआइ और डाक विभाग को एक प्लेटफार्म पर लाया गया है। इनके अधिकारियों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। ड्रग तस्करों के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने के लिए एनसीबी और राष्ट्रीय साइंस यूनिवर्सिटी के बीच समझौता भी हुआ है।