केरलः चुनाव प्रचार में जुटे अच्युतानंदन ने 13 दिनों में की 64 रैलियां
धुरंधर कम्युनिस्ट नेता अच्युतानंदन पिछले 13 दिनों से धुआंधार चुनावी प्रचार में जुटे हैं। इस दौरान इन्होंने 13 जिलों का दौरा किया और 64 रैलियों को संबोधित किया।
मलमपुझा (पलक्कड)। केरल में मानसून ने समय से पहले आने के संकेत देकर उमस और तपती गरमी से लोगों को राहत तो दी, लेकिन यहां का सियासी पारा अभी भी चढ़ा नजर आ रहा है। यहां विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल वोटरों को रिझाने में जी जान से जुटे हैं। नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर खुद को मजबूत और विपक्षी को कमजोर करने में लगे हैं। इन नेताओं में एक नाम ऐसा भी है जो अपने जीवन के 92 बसंत देखने के बाद भी जोश, जुझारूपन और उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। जी हां हम बात कर रहे हैं खाटी कम्युनिस्ट नेता वेलिक्काकाथ संकरन अच्युतानंदन की।
2006-11 तक केरल में सत्ता संभालने वाले कम्युनिस्ट कुलपति के नाम से मशहूर वी एस अच्युतानंदन इन दिनों पार्टी के प्रचार में जी जान से जुटे हैं। वे मलमपुझा से एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं।
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13 दिनों में 13 जिलों का दौरा
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, अच्युतानंदन पिछले 13 दिनों से धुआंधार चुनावी प्रचार में जुटे हैं। इस दौरान इन्होंने 13 जिलों का दौरा किया और 64 रैलियों को संबोधित किया। चुनावी प्रचार केे दौरान उन्होंने हर दिन 200 किलोमीटर का दौरा किया।
कम्युनिस्ट कुलपति के नाम से मशहूर वीएस अच्युतानंदन ने केरल में कई क्रांतियों का नेतृत्व किया। एक बार जब वो माइक अपने हाथ में ले लेते हैं तो फिर उनके चेहरे पर कहीं थकान नजर नहीं आती। वो लोगों से अपने 2006-11 तक के शासन की बात बताते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ वोट करने की अपील करते हैं। उनकी मीटिंग में 200-250 युवा और पुराने लोगों का झुंड होता है। एक बार जब वो प्रचार के दौरान सड़क पर निकलते हैं तो उनसे हाथ मिलाने और सेल्फी लेने वालों की होड़ सी लग जाती है।
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शुरूआती कैम्पेन में पिछड़ी सीपीएम
केरल में विधानसभा चुनाव के दौरान सीपीएम शुरुुआती प्रचार में पिछड़ती नजर आई। शुरुआती दिनों में धुरंधर कम्युनिस्ट मंच से नदारद दिखे। हर उम्मीदवार प्रचार के लिए उनका साथ चाहता था। यहां तक कि पार्टी के विरोधी नेता पिनारयी विजयन भी चुनाव प्रचार में उनका साथ चाहते थे।
चौथी बार चुनाव मैदान में वीएस
बता दें कि खाटी कम्युनिस्ट वीएस अच्युतानंदन चौथी बार चुनाव मैदान में हैं। 2001 में उनकी जीत का अंतर 4700 था जो 2006 में बढ़कर 20 हजार हो गया। वहीं तीसरी बार 2011 में जब वीएस ने चुनाव जीता तो जीत का अंतर बढ़कर 23,440 तक पहुंच गया।
पार्टी ने किया जीत का दावा
मलमपुझा में दो लाख वोटर मतदाता सूची में दर्ज हैं। क्षेत्र में पार्टी जीत को लेकर तो आश्वस्त है, लेकिन वोट बंटने की वजह से इस बार जीत का अंतर कम हो सकता है । दरअसल इस बार भाजपा भी यहां पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में है। भाजपा का यहां भारत धरम जन सेवा के साथ गठबंधन है।
मलमपुझा में करीब 74 हजार इझावा या पिछड़ी जाति के वोटर हैं । जिस वजह से सीपीएम के भीतर ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं, इनके कुछ वोट भाजपा की ओर जा सकते हैं।
अच्युतानंदन को टक्कर देंगे कृष्णकुमार
मलमपुझा में वीएस के सामने कृष्णकुमार चुनाव मैदान में हैं। कृष्णकुमार पलक्कड नगर निगम के वाइस चेयरममैन हैं। उन्होंने बताया कि पार्टी इस बार मुलमपुझा में कड़ी टक्कर देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैलियों से पार्टी को बहुत मजबूती मिलेगी। कुमार ने कहा कि पिछले 15 सालों से वीएस इस क्षेत्र से जीतते आ रहे हैं। लेकिन अभी भी यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ है। वीएस पर निशाना साधते हुए कुमार ने कहा कि अच्युतानंदन यहां के लिए एक अजनबी हैं, वे सिर्फ हर पांच साल पर ही यहां दिखते हैं।
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