इन 9 राज्यों के 50 फीसद से ज्यादा मतदाता मोदी के मुरीद, विपक्ष को किया बुरी तरह से धराशायी
Lok Sabha Election 2019 के रिजल्ट से तमाम चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं इनमें एक वोटिंग प्रतिशत का बढ़ना भी शामिल है।
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। Lok Sabha Election 2019 के नतीजे हर तरह से चौंकाने वाले रहे, भाजपा ने साल 2014 के मुकाबले इस बार अधिक सीटें जीतीं, इसी के साथ उनके वोट प्रतिशत में भी इजाफा देखने को मिला। कुछ राज्यों में तो पार्टी को मिले वोटों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखने को मिली। भाजपा के वोटों में इस तरह से बढ़ोतरी को देखकर बाकी के अन्य दल खासे परेशान है और वो इस पर गहन मंथन कर रहे हैं।
देश में कुल 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में चुनाव हुए हैं। इनमें से कुछ राज्यों में तो भाजपा के अलावा अन्य पार्टियों के वोट प्रतिशत में भी इजाफा देखने को मिला है। साल 2014 के मुकाबले तुलना करने पर इनमें खासा अंतर देखा जा सकता है। देश में लोग मोदी के मुरीद नजर आए। खासतौर पर 9 राज्यों की जनता ने तो भाजपा और एनडीए के समर्थन में 50 फीसद से ज्यादा मतदान किया है।
80 लोकसभा वाले अकेले यूपी की बात करें तो यहां भाजपा के वोट प्रतिशत में 7 फीसदी का इजाफा हुआ। साल 2014 में भाजपा को यहां पर 42.63 फीसदी वोट मिले थे, तो इस बार के चुनाव में 49.56 फीसदी वोट मिले। साल 2014 के चुनाव में सपा-बसपा और कांग्रेस अलग-अलग लड़े थे। इस बार सपा और बसपा का गठबंधन हो गया और दोनों दल मिलकर चुनाव लड़े मगर उसके बाद भी इनकी सीटों में बढ़ोतरी नहीं हो पाई।
पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों की बात करें तो साल 2014 में यहां तृणमूल कांग्रेस को 39 फीसदी वोट मिले थे जो इस बार बढ़कर 43 फीसद पर पहुंच गए। सबसे अधिक फायदा भाजपा को हुआ। साल 2014 में उन्हें यहां पर मात्र दो फीसदी वोट मिले थे जो इस बार बढ़कर 18 पर पहुंच गए। कांग्रेस को यहां पर सीटों के साथ वोट प्रतिशत का भी नुकसान हुआ। साल 2014 में कांग्रेस के पास यहां 4 सीटें थी और वोट प्रतिशत 9.58 फीसद था जो इस बार घटकर 5.61 फीसद रह गया। उनको दो सीटों का नुकसान भी हुआ है।
तमिलनाडु की 39 सीटों पर भी इसी तरह के हालात देखने को मिले। यहां सबसे अधिक नुकसान एआईएडीएमके को हुआ। साल 2014 के चुनाव में एआईएडीएमके के पास यहां 37 सीटें थी और वोट 44.3 फीसद था, जो 2019 के चुनाव में एक सीट और 18.48 फीसद पर सिमट गया। भाजपा को यहां पर इस बार नुकसान हुआ। साल 2014 के चुनाव में 5.5 फीसद वोट बैंक था जो इस बार 3.66 पर पहुंच गया।
मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर भी इसी तरह के बदलाव देखने को मिले। साल 2014 में यहां पर भाजपा का वोट प्रतिशत 54.76 फीसद था जो इस बार 58 पर पहुंच गया। इसी तरह से यहां कांग्रेस और बसपा के वोट फीसद में भी गिरावट देखने को मिला। 2014 में यहां कांग्रेस को 35.35 फीसद और बसपा को 3.85 फीसद वोट मिले थे, इस बार कांग्रेस को 34.5 और बसपा को 2.38 फीसद वोट मिले।
गुजरात की 26 लोकसभा सीटों पर भी इसी तरह की चीजें देखने को मिली। साल 2014 में भाजपा को 60.1 फीसद वोट मिले थे, कांग्रेस को 33.45 फीसद वोट मिले थे। 2019 के चुनाव में भाजपा को 62.2 फीसदी और कांग्रेस को 32.1 फीसदी वोट मिले।
कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों पर भाजपा के वोट प्रतिशत में इजाफा देखने को मिली। 2014 में भाजपा को 43.37 फीसद और कांग्रेस को 41.15 फीसद वोट मिला था। 2019 के चुनाव में भाजपा को 51.2 फीसद का फायदा हुआ। यहां से कांग्रेस को 2014 के मुकाबले 31.9 फीसद कम वोट मिले।
इसी तरह से आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों पर भी ये बढ़ोतरी देखने को मिली। 2014 में टीडीपी और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था उस दौरान कुल 48 फीसद वोट मिले थे। 2019 में टीडीपी को 39.59 फीसद और भाजपा को 0.96 फीसदी वोट मिले। यहां हुए विधानसभा के चुनावों में भी ये चीजें देखने को मिली। तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों ने भी ऐसा ही रिजल्ट दिया।
झारखंड की 14 सीटों पर ऐसा ही रिजल्ट रहा। 2014 के चुनाव में भाजपा को यहां पर 40.1 फीसद वोट मिले थे, इसी तरह से यहां की जेएमएम को 9.2 फीसद वोट मिले थे, 2019 के चुनाव में यहां से भाजपा को 50.96 फीसद वोट मिले, जेएमएम को 11.51 फीसद वोट मिले।
छत्तीसगढ़ की 11 सीटों पर भी ये चीजें देखने को मिली। 2014 में यहां भाजपा को 48.70 फीसद और कांग्रेस को 38.4 फीसद वोट मिले थे, साल 2019 में भाजपा को यहां 50.7 फीसद और कांग्रेस को 40.91 फीसद वोट मिले हैं।
हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर परिणाम इसके उलट रहे। 2014 में भाजपा को यहां पर 34.84 फीसद, कांग्रेस को 22.19 फीसद और आईएनएलडी को 24.43 फीसद वोट मिले थे। इस साल 2019 के चुनाव में यहां सबसे अधिक नुकसान आईएनएलडी को हुआ। 2019 के चुनाव में आईएनएलडी को यहां पर मात्र 1.89 फीसद वोट मिला।
जम्मू कश्मीर की 6 सीटों पर इस तरह से बढ़ोतरी देखने को मिली। 2014 में भाजपा को 32.22 फीसद वोट मिला था, कांग्रेस को 22.85 फीसद और पीडीपी को 20.53 फीसद वोट मिला था। 2019 में भाजपा का वोट फीसद 46.4 पर पहुंच गया, कांग्रेस का कम होकर 28.47 पर पहुंचा और पीडीपी का कम होकर 2.37 पर पहुंच गया।
इसी तरह बिहार, उत्तराखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, असम और पंजाब में भी ये ही चीजें देखने को मिलीं। इन राज्यों में वोट फीसद में मामूली इजाफा देखने को मिला। त्रिपुरा में जहां 2014 में भाजपा का वोट फीसद 5.77 था वो 2019 में बढ़कर 49.03 पर पहुंच गया।
नागालैंड में 2014 में कांग्रेस को 30.22 फीसद वोट मिले थे जो इस बार बढ़कर 49.73 पर पहुंच गए। इसी तरह से मिजोरम में जहां साल 2014 में भाजपा का कोई जनाधार नहीं था वहां इस बार उनका वोट फीसद बढ़कर 5.75 पर पहुंच गया।
मेघालय में कांग्रेस के वोट फीसद में इजाफा हुआ। साल 2014 में कांग्रेस के पास 39.02 फीसद वोट था जो 2019 में बढ़कर 48.28 फीसद पर पहुंच गया।
मणिपुर में कांग्रेस और भाजपा दोनों के वोट फीसद में अंतर देखने को मिला। साल 2014 में कांग्रेस को 41.91 फीसद, भाजपा को 11.98 फीसद वोट मिले थे। 2019 में यहां से भाजपा को 34.22 और कांग्रेस को 24.63 फीसद वोट मिले।
अरूणाचल प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों में अंतर रहा। 2014 के चुनाव में कांग्रेस को यहां से 41.66 फीसद और भाजपा को 46.62 फीसद वोट मिले थे। साल 2019 के चुनाव में यहां से भाजपा को 58.30 फीसद और कांग्रेस को 20.81 फीसद वोट मिले।
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