एक अलग तरह के क्वाड का हिस्सा बना भारत, चारों देशों की हुई पहली बैठक
भारत अमेरिका इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक वर्चुअल माध्यम से भारतीय समयानुसार सोमवार को देर रात शुरू हुई। इजरायल की यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वहीं से इसमें हिस्सा लिया।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चार देशों के संगठन क्वाड के ठोस रूप लेने के बाद अब एक अलग तरह का क्वाड खाड़ी क्षेत्र में अवतरित होता दिख रहा है। इस संगठन में भारत, अमेरिका, इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) हैं। इन चारों देशों के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक वर्चुअल माध्यम से भारतीय समयानुसार सोमवार को देर रात शुरू हुई। इजरायल की यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वहीं से इसमें हिस्सा लिया। यह बैठक साफ तौर पर बता रहा है कि इजरायल और अमेरिका दोनों चाहते हैं कि खाड़ी के क्षेत्र में भारत ज्यादा बड़ी भूमिका निभाए। यह भूमिका किस तरह की होगी, यह तो भविष्य में पता चलेगा, लेकिन इन चारों देशों के गठबंधन का असर व्यापक होने की संभावना जताई जा रही है।
इन मुद्दों पर चारों देशों के बीच हुई चर्चा
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर, इजरायल के विदेश मंत्री येर लापिड और यूएई के विदेश मंत्री एबी जायेद के साथ बैठक करेंगे। यह बैठक प्रेस या मीडिया के लिए खुली नहीं थी, लेकिन बैठक के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि चारों देशों के बीच जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग, समुद्री सुरक्षा और राजनीतिक व आर्थिक सहयोग को प्रगाढ़ करने जैसे विषयों पर बात हुई है।
पिछले साल हुई थी अब्राहम संधि
यह भी उल्लेखनीय है कि अमेरिका, इजरायल और यूएई के बीच पिछले वर्ष (अगस्त 2020) अब्राहम संधि हुई थी। इससे पहली बार खाड़ी क्षेत्र के किसी देश के साथ इजरायल के कूटनीतिक संबंध बने थे। यूएई के बाद बहरीन ने भी इजरायल के साथ कूटनीतिक संबंध बना लिए हैं। इस समझौते के बाद खाड़ी के क्षेत्र में नए बदलाव की सुगबुगाहट थी। अब्राहम संधि करने वाले तीनों देशों के साथ भारत की अलग से बैठक होने की अपनी अहमियत है।
विदेश मंत्रालय के अधिकारी इस बैठक को लेकर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं। जानकारों का कहना है कि यह बैठक सिर्फ शुरुआत हो सकती है, लेकिन इन चारों देशों के बीच किसी तरह के रणनीतिक सहयोग की दिशा तय होने में अभी वक्त लगेगा। उदाहरण के तौर पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए गठित अमेरिका, भारत, जापान व आस्ट्रेलिया के क्वाड की पहली बैठक वर्ष 2007 में ही हुई थी, लेकिन उसे मूर्त रूप लेने में तकरीबन एक दशक का समय लग गया। वैसे यह महत्वपूर्ण बात है कि सोमवार को जो बैठक हुई है, वह विदेश मंत्री के स्तर की थी, जबकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए स्थापित क्वाड की पहली बैठक जूनियर अधिकारियों के बीच हुई थी।