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पांच लोगों की जान ले चुका है यह खूंखार 'लादेन', काफी मशक्‍कतों के बाद काबू में आया

असम वन विभाग ने कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार हिंसक हाथी लादेन को ट्रेंक्यूलाइजर के जरिए काबू में कर लिया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 11:00 PM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 11:00 PM (IST)
पांच लोगों की जान ले चुका है यह खूंखार 'लादेन', काफी मशक्‍कतों के बाद काबू में आया
पांच लोगों की जान ले चुका है यह खूंखार 'लादेन', काफी मशक्‍कतों के बाद काबू में आया

 गुवाहाटी, आइएएनएस। मारे जा चुका दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन के नाम पर असम के इस हाथी का नाम रखा गया जिसने गोपालपाड़ा जिले मेंपांच ग्रामीणों को मार डाला। एक बड़े ऑपरेशन के बाद यह हाथी पकड़ा गया। इस हाथी को पकड़ने के लिए वन्यजीव अधिकारियों ने कई दिनों तक जंगल में ड्रोन और पालतू हाथियों का उपयोग किया गया। हिंसक हाथी 'लादेन' को ट्रेंक्यूलाइजर के जरिए काबू में कर लिया। हाथी ने पिछले कुछ वक्त से वनकर्मियों की नाक में दम कर रखा था। 

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 मुख्य वन संरक्षक आकाशदीप बरुआ ने बताया कि अभियान की शुरुआत ऐसी स्थितियों से निपटने में सक्षम टीम के साथ की गई, जिसमें पशु चिकित्सक भी शामिल थे। हिंसक हाथी को ढूंढ़ना कोई मुश्किल काम नहीं था, हम उस पर नजर रखे हुए थे। उन्होंने कहा कि छह हाथियों और सुरक्षाकर्मियों की एक टीम के साथ हाथी को ट्रेंक्यूलाइजर किया गया। हाथी को पकड़ने वाली टीम में भाजपा विधायक पद्म हजारिका भी शामिल थे। मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने हजारिका को बधाई दी। बता दें कि काबू में किए गए हाथी ने 29 अक्टूबर को 24 घंटे के दौरान पांच लोगों को मार दिया था। मृतकों में तीन महिलाएं थीं। असम के वन मंत्री परिमल शुक्लाबैद्य ने कहा कि वन्यजीव विशेषज्ञों सहित एक आठ-व्यक्ति समिति तय करेगी कि क्या करना है।

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने आज ऑपरेशन के अंतिम चरण की शुरुआत की। ट्रेंक्यूलाइजर के जरिए इस नर हाथी को शांत किया। अब हाथी को ऐसे जंगल में शिफ्ट करने का काम चल रहा है, जहां आसपास कोई मानव बस्ती नहीं हो। वन्यजीव अधिकारियों और रेंजरों ने आखिरकार कब्जा करने से पहले रोंगजुली जंगल के माध्यम से जानवर को ट्रैक करने में कामयाब रहे।

जून में जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में भारत में हाथियों द्ववारा लगभग 2,300 लोग मारे गए हैं, जबकि  प्राकृतिक आवास सिकुड़ जाने के कारण 2011 के बाद से 700 हाथियों को मार दिया गया है।  हाथी अक्सर गोलपाड़ा में चले जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मनुष्यों के साथ घातक मुठभेड़ों की संख्या अधिक होती है। कुछ हाथियों को स्थानीय लोगों द्वारा जहर दिया गया है या गोली मार दी गई है, जबकि अन्य की मौत बिजली के बाड़ पर या रेलवे पटरी पर कटने से हुई है।


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