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किस राजनीतिक दल के हाथों में खेल रहे करणी सेना के उत्पाती!

सोशल मीडिया पर यह सवाल उठ रहा है कि क्या कारण है कि पद्मावत के विरोध में भाजपा शासित राज्यों में ही अधिक उत्पात देखने को मिल रहा है?

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 24 Jan 2018 11:56 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jan 2018 07:00 AM (IST)
किस राजनीतिक दल के हाथों में खेल रहे करणी सेना के उत्पाती!
किस राजनीतिक दल के हाथों में खेल रहे करणी सेना के उत्पाती!

नई दिल्ली, जेएनएन। फिल्म पद्मावत के विरोध में जैसी बेलगाम गुंडागर्दी देखने को मिल रही है वह देश के साथ-साथ हिंदू समाज और यहां तक कि खुद राजपूत समाज को भी शर्मसार करने वाली है। खुद को करणी सेना अथवा राजपूतों के अन्य गुमनाम से संगठनों का सदस्य बताने वाले विरोध के नाम पर खुली अराजकता का प्रदर्शन ही नहीं कर रहे, बल्कि वे निरपराध-निहत्थे लोगों और यहां तक कि स्कूली बच्चों को भी निशाना बना रहे हैं। कहीं-कहीं तो विरोध के नाम पर तोड़फोड़ के साथ लूटपाट भी की जा रही है। खास बात यह है कि ज्यादातर गुंडई भाजपा शासित राज्यों में ही देखने को मिल रही है।

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जानकारों की मानें तो यह तो समझ आता है कि राजपूत समाज को अपने साथ रखने और उसे नाराज न करने की कोशिश के चलते भाजपा शासित राज्यों की पुलिस करणी सेना और ऐसे ही अन्य संगठनों के नेताओं पर हाथ डालने से बच रही है और इसका नतीजा यह है कि वे घूम-घूमकर भड़काऊ बयान देने में लगे हुए हैं। इन राज्य सरकारों को यह लगता है कि कहीं कालवी और ऐसे ही अन्य स्वयंभू नेताओं को गिरफ्तार करने से हिंसा और ज्यादा न भड़क जाए, लेकिन यह एक पहेली है कि आखिर यह उत्पात गैर भाजपा शासित राज्यों में क्यों नहीं दिखाई दे रहा है?

यह सवाल इसलिए रहस्य बन गया है कि पहले कर्नाटक और तेलंगाना में भी राजपूत संगठनों ने तीखे तेवर दिखाए थे और सड़कों पर उतरने की धमकी भी दी थी। अब जब फिल्म पद्मावती, पद्मावत के रूप में रिलीज होने जा रही है तब गैर भाजपा शासित राज्यों में ऐसे संगठन या तो शांत-शांत से हैं या फिर उनके विरोध का तरीका प्रतीकात्मक ही अधिक है।

सोशल मीडिया पर यह सवाल उठ रहा है कि क्या कारण है कि पद्मावत के विरोध में भाजपा शासित राज्यों में ही अधिक उत्पात देखने को मिल रहा है?

इसी से जुड़ा दूसरा सवाल यह है कि कांग्रेसी नेता और समर्थक इस गुंडागीरी की खुलकर निंदा और आलोचना क्यों नहीं कर रहे हैं? उनका ऐसा कोई ट्वीट देखने को नहीं मिला जिसमें वे करणी सेना को निशाना बना रहे हों। बात-बात पर ट्वीट करने और खासकर भाजपा पर कटाक्ष करने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तो दूर रहे, अन्य कांग्रेसी नेता भी यह कहने से बच रहे हैं कि करणी सेना के लोग गुंडागीरी से बाज आएं।

राहुल गांधी ने बस यह ट्वीट किया कि बच्चों के खिलाफ हिंसा का कोई औचित्य नहीं। हिंसा औऱ नफरत कमजोर लोगों का हथियार होती है। इसी ट्वीट में लगे हाथ उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि यह सब भाजपा की करनी का फल है। सोशल मीडिया पर लोग यह भी दिला रहे हैं कि तथाकथित करणी सेना ने अलवर उपचुनाव में कांग्रेस का समर्थन करने की घोषणा की है। इसी तरह गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को समर्थन देने वाले हार्दिक और अल्पेश जैसे नेताओं ने करणी सेना को उकसाने वाले बयान ही दिए हैं।


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