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गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम शुरू, चरखा और खादी मास्क से खड़े किए जाएंगे गांव

खादी ग्रामोद्योग एक दिन में 20000 मास्क बनाने की क्षमता रखता है। लॉकडाउन खुलने के बाद खादी के स्टोर से रंगीन मास्क खरीदे जा सकते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2020 11:22 AM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2020 11:22 AM (IST)
गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम शुरू, चरखा और खादी मास्क से खड़े किए जाएंगे गांव
गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम शुरू, चरखा और खादी मास्क से खड़े किए जाएंगे गांव

राजीव कुमार, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा के अनुरूप गांधीनोमिक्स के तर्ज पर गांव को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम शुरू हो गया है। इस काम के लिए एमएसएमई मंत्रलय के अधीनस्थ कार्यरत खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी) ने योजना बनाई है। योजना के तहत फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 100 गांवों में 200 चरखे और 50 लूम दिए जाएंगे। इससे हर गांव में कम से कम 350 लोगों के लिए रोजगार निकलेंगे।

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खादी ग्रामोद्योग बड़े पैमाने पर रंगीन फैशनेबल मास्क बनाना भी शुरू कर चुका है। मास्क बनाने का काम ग्रामीण महिलाओं को दिया जा रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरपंचों को संबोधित करते हुए गांव को आत्मनिर्भर बनाने की इच्छा जाहिर की थी। महात्मा गांधी के अर्थशास्त्र (गांधीनोमिक्स) में गांव को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया है। कोरोना महामारी के बाद के माहौल में हर गांव, हर जिले को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया जा रहा है।

केवीआइसी के चेयरमैन वी.के. सक्सेना ने बताया कि गांवों में चरखे और लूम लेने वाले ग्रामीणों को तत्काल तौर पर उसकी कीमत नहीं देनी होगी। एक चरखा 16,000 रुपये तो लूम 35,000 रुपये की होती है। चरखे और लूम से होने वाली कमाई से वे किस्त देकर कीमत अदा कर सकेंगे। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 100 गांवों के चुनाव पर काम शुरू हो रहा है। बाद में, हर गांव में चरखे और लूम देने की योजना है।

रंगीन मास्क से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन: कोरोना से बचने के लिए फिलहाल और बाद दोनों ही समय में मास्क अब रोजमर्रा की वस्तु बनती दिख रही है। इसे देखते हुए खादी ग्रामोद्योग आयोग रंगीन और फैशनेबल मास्क बना रहा है। इस प्रकार के एक मास्क को 16 रुपये में बेचा जा रहा है। सक्सेना ने बताया कि मास्क बनाने का काम उन ग्रामीण महिलाओं को दिया जा रहा है जो चरखा या लूम नहीं चलाती है। उन्हें एक मास्क बनाने के बदले तीन रुपये मिलते हैं। उन्होंने बताया कि 16 रुपये में ग्राहकों को मास्क की फ्री डिलीवरी की जा रही है ताकि अधिक से अधिक लोग खादी के मास्क को खरीदने के लिए प्रेरित हो सके। इसके पीछे मकसद यह है कि मास्क की जितनी अधिक मांग होगी चरखा उतना ही अधिक चलेगा।

एक मीटर कपड़े में 10 मास्क तैयार हो रहे हैं। खादी ग्रामोद्योग को जम्मू-कश्मीर से 7.5 लाख मास्क बनाने के ऑर्डर मिले हैं। अब तक 12 लाख मास्क विभिन्न जिलों में मजिस्ट्रेट के मार्फत दान के लिए दिए जा चुके हैं। कई राज्यों से इस प्रकार के ऑर्डर पाइपलाइन में है। खादी ग्रामोद्योग एक दिन में 20,000 मास्क बनाने की क्षमता रखता है। लॉकडाउन खुलने के बाद खादी के स्टोर से रंगीन मास्क खरीदे जा सकते हैं।


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