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छत्तीसगढ़: पानी की दिक्कत से कैसे जूझ रहा गांव, इस कारण नहीं हो रही लड़को की शादी

छत्तीसगढ़ का गांव करहनिया पानी के संकट से जूझ रहा है। गांव में पानी न होने के कारण आसपास के अलावा दूर दराज के ग्रामीण बेटी देने के लिए भी तैयार नहीं हो रहे हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 18 May 2019 10:09 PM (IST)Updated: Sat, 18 May 2019 10:09 PM (IST)
छत्तीसगढ़: पानी की दिक्कत से कैसे जूझ रहा गांव, इस कारण नहीं हो रही लड़को की शादी
छत्तीसगढ़: पानी की दिक्कत से कैसे जूझ रहा गांव, इस कारण नहीं हो रही लड़को की शादी

बिलासपुर, [राधाकिशन शर्मा]। बूंद-बूंद पानी के लिए बारह महीने तरसने वाले मरवाही ब्लॉक के ग्राम करहनिया के आदिवासी परिवार के सामने एक अजीबो-गरीब संकट उठ खड़ा हुआ है। गांव में पानी न होने के कारण आसपास के अलावा दूर दराज के ग्रामीण बेटी देने के लिए भी तैयार नहीं हो रहे हैं। इस समस्या के कारण जवान बेटों की शादी नहीं हो पा रही है।

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आदिवासियों के घर का आंगन बहू के बिना सुना है। आदिवासियों के लिए राहत वाली बात ये है कि बेटियों का हाथ वे किसी भी तरह पीला कर दे रहे हैं। लेकिन इसके लिए भी काफी मिन्न्तें करनी पड़ रही है। इनकी पीड़ा और समस्या कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है।

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के मरवाही विधानसभा क्षेत्र के नक्शे पर ग्राम करहनिया भी आता है। बमुश्किल 100 घरों का यह गांव तराई पर बसा है। पहाड़ के ऊपरी निचले और बीच के हिस्से में बसे आदिवासियों को एक-एक बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। सुबह से लेकर देर शाम तक बच्चों से लेकर बुजुर्ग को पहाड़ से नीचे उतरते तो कुछ जवान, बच्चों और बुजुर्गों को हाथ और सिर पर बर्तन लिए पहाड़ के ऊपरी सिरे पर मशक्कत करते चढ़ते देखा जा सकता है।

इनकी सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी से लेकर नहाने और भोजन पकाने के लिए पानी की जरूरत है। सरकारी मदद से परे पानी की जरूरतों को आदिवासी परिवार जैसे-तैसे पूरा तो कर ले रहे हैं पर इनके सामने सबसे बड़ी समस्या बेटों का शादी न होना है। पानी की दिक्कतोें को देखते हुए कोई आदिवासी पिता व परिवार अपनी बेटी करहनिया के तराई वाले इलाके में शादी नहीं चाहते । गांव के बुजुर्ग रामप्रसाद ने बताया कि यह समस्या पहले नहीं थी। पानी की दिक्कत तो पहले से भी थी। पर लोग इसके बाद भी रिश्ता करने के लिए तैयार हो जाते थे। अब जबकि आदिवासी परिवार की बेटियां पढ़ने लिखने लगी हैं और ससुराल में सुविधा खोजने लगी है तब से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

रामप्रसाद का कहना है कि दिक्कतें तो है। हम लोगों को रोजाना पानी के लिए पहाड़ चढ़ना और उतरना पड़ता है। समस्या विकराल है। इसी समस्या के चलते दूसरे घर की बेटियां यहां बहू बनकर आना नहीं चाहती या फिर यह भी कह सकते हैं कि बेटियों की जिद के आगे पिता भी करहनिया में रिश्ता करने से कतरा रहे हैं। पानी की समस्या ने आदिवासियों के घर आंगन को बहू बिना सुना कर दिया है। इनके लिए राहत वाली बात ये है कि बेटियों का हाथ पीला करने में दिक्कतें नहीं आ रही है। बेटियों की शादी आराम से हो जा रही है। पानी के बिना बहू न आने से गांव के आधा दर्जन आदिवासी परिवार के बेटों की शादी नहीं हो पा रही है। बिसाहीन बाई का कहना है उसके पोता की उम्र शादी लायक हो गई है। पानी की समस्या के कारण रिश्ता तय नहीं हो पा रहा है।

करहनिया की भौगोलिक स्थिति पर नजर डालें तो यह तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। मुड़ाटोला, मांझेटोला व खालेटोला। तीनों टोलों में बमुश्किल 100 आदिवासी परिवार रहते हैं । पहाड़ी पर बसे इस गांव की भौगोलिक स्थित ऐसी है कि भूजल में पानी का स्रोत ही नहीं मिल पा रहा है। भूजल विद के अलावा पीएचई के अधिकारी बीते तीन वर्ष के दौरान यहां एक दर्जन से अधिक जगहों पर सर्वे कर चुके हैं। आधा दर्जन बोरवेल पानी न मिलने के कारण फेल हो चुके हैं।

ब्लॉक मुख्यालय से पानी लाने की मशक्कत

पानी की दिक्कतों को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने अब ब्लॉक मुख्यालय से ओवरहेड टैंक के जरिए करहनिया में पानी आपूर्ति की योजना बनाई है। इसके लिए 10 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई जाएगी। पाइप लाइन बिछाने के साथ ही गांव में पानी टंकी बनाई जाएगी। इसी टंकी के जरिए लोगों को जल आपूर्ति की जाएगी ।

तीन दशक से पी रहे ठोढ़ी का पानी

करहनिया के आदिवासी बीते तीन दशक से ठोढ़ी का पानी पी रहे हैं। यह प्राकृतिक जल स्रोत है जो पहाड़ के नीचले हिस्से से निकल रहा है। यही पानी लोगों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रहा है। जल स्रोत को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे इसके लिए ग्रामीणों ने चारों तरफ ईंट की दीवार खड़ी कर दी है।

50 फीट नीचे चला गया भूजल स्तर

करहनिया में भूजल का स्तर लगातार नीचे गिरते जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भूजल स्तर में 350 फीट की गिरावट दर्ज की गई है। भीषण गर्मी में इसमें और गिरावट की आशंका जाहिर की गई है। ग्राम करहनिया की भौगोलिक स्थिति ही कुछ ऐसी है कि भूजल स्तर में लगातार गिरावट आते जा रही है। भूूजल में स्रोत ही नहीं मिल पा रहा है। आधा दर्जन से ज्यादा जगहों पर बोरवेल खनन कराया गया था। सभी फेल हो गए हैं।

- यूएस पवार, एसडीओ,ग्रामीण यांत्रिकी सेवा  

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