किसानों को कृषि उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए ग्राम हाट विकसित होंगे
प्रस्तावित ग्रामीण मंडियों में उन्हीं पर विचार किया गया, जिनका संचालन करने वाली संस्थाओं का जिक्र स्पष्ट रूप से किया गया था।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कृषि उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रस्तावित ग्राम हाट को विकसित करने की योजना पर काम शुरु कर दिया गया है, लेकिन इसका संचालन पूरी तरह से ग्राम सभाओं के हाथ में सौंपने का निश्चय किया गया है। ग्राम हाट विकसित करने का दायित्व कृषि मंत्रालय के साथ ग्रामीण विकास मंत्रालय के कंधों पर होगा। इसके पहले चरण में लगभग 19 सौ ग्रामीण हाट का चयन किया गया है।
राज्यों के साढ़े चार हजार प्रस्तावों में से 1900 को मिली मंजूरी
राज्यों की ओर से भेजे गये साढ़े चार हजार प्रस्तावों में से केवल आधी से भी कम मंडियां विकसित करने लायक पाई गयीं। इन ग्रामीण मंडियों के ढांचागत विकास में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की भूमिका अहम होगी। अगले दो तीन सालों में देश की कुल 22 हजार ग्रामीण हाट को विकसित मंडी बनाने का प्रस्ताव चालू वित्त वर्ष 2018-19 में किया गया है। इसके लिए कुल दो हजार करोड़ रुपये का प्रावधान भी है।
ग्रामीण हाट के चयन के लिए कुछ मानकों का निर्धारण किया गया है। इसके तहत चयनित मंडियों में सर्वाधिक आंध्र प्रदेश की 564 मंडियां है। दूसरे स्थान पर गुजरात है, जहां की कुल 188 प्रस्तावों को मंजूर किया गया है। जबकि तीसरे स्थान पर राजस्थान है जहां की 186 हाट और तमिलनाडु की 182 मंडियों को स्थान मिला है। निर्धारित मानकों के मुताबिक इन ग्रामीण हाटों को मंडी कानून के दायरे से अलग रखा जाएगा। इन्हें केंद्रीय अनुदान के मार्फत विकसित किया जाएगा।
हाट के विकास के लिए 18 राज्यों से प्रस्ताव भेजे गये थे। प्रत्येक मंडी के विकास के लिए 16 लाख से 17 लाख रुपये का केंद्रीय अनुदान दिया जाएगा। इन मंडियों का चयन कृषि मंत्रालय के साथ उसके बाजार खुफिया निदेशालय ने संयुक्त रूप से किया है। मंडियों को केंद्र से मिलने वाली मदद से केवल ढांचागत विकास ही किया जा सकेगा।
प्रस्तावित ग्रामीण मंडियों में उन्हीं पर विचार किया गया, जिनका संचालन करने वाली संस्थाओं का जिक्र स्पष्ट रूप से किया गया था। लेकिन उन पर विचार तभी किया गया, जब उन्होंने उसके संचालन दायित्व ग्रामसभा को सौंपने की शर्त मान ली।
इन मंडियों के चयन के लिए देशभर की कुल साढ़े नौ हजार से अधिक गांव की हाट का सर्वेक्षण किया। इनमें 69 फीसद तो हाट साप्ताहिक बाजार के तौर पर लगाये जाते हैं। इनमें ज्यादातर खुदरा बाजार हैं।