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Vikas Dubey Crime News: 28 साल बाद... आठ परिवारों के जख्मों पर लगा ‘मरहम’ हुआ इंसाफ

Story of Vikas Dubey Terror विकास दुबे ने 1992 में गांव में लोगों को मरणासन्न कर जलाए थे घर दहशत के कारण पीड़ितों ने छोड़ दिया था उसकी गली से आना-जाना।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 10:03 AM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 02:53 PM (IST)
Vikas Dubey Crime News: 28 साल बाद... आठ परिवारों के जख्मों पर लगा ‘मरहम’ हुआ इंसाफ
Vikas Dubey Crime News: 28 साल बाद... आठ परिवारों के जख्मों पर लगा ‘मरहम’ हुआ इंसाफ

आशीष पांडेय, कानपुर। Story of Vikas Dubey Terror दुर्दात विकास दुबे ने चौबेपुर क्षेत्र स्थित गांव में जरा सा भी विरोध करने वालों पर कहर बरपाया। शुक्रवार को उसका अंत होते ही गांव के कुछ परिवारों के सीने में 28 साल से जल रही आग बुझ गई। वह विकास के जिंदा रहने तक उसकी गली से गुजरने की हिम्मत नहीं जुटा सके।

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बिकरू में विकास दुबे के मकान के ठीक सामने से होकर बायीं तरफ गली के अगले छोर पर निजामुद्दीन का मकान है। उसने बताया कि 1992 में मामूली कहासुनी को लेकर विकास से विवाद में दबंग ने साथियों के साथ मिलकर उसके साथ, मुल्ला खां, सलीम, बाबू, नीमा समेत आठ परिवार के दो दर्जन से अधिक लोगों को पीटकर मरणासन्न करने के साथ घर जला दिए थे।

इसके बाद से गांव में उसकी दहशत और बढ़ी थी। वह सभी परिवार 28 साल में वह जख्म कभी भूले नहीं। जागरण ने पीड़ितों का दर्द जाना तो फफक पड़े। बताया कि विकास की दबंगई के सामने पुलिस भी सिर नहीं उठा पाती थी। कई बार दबिश दी पर घर के भीतर तक दाखिल नहीं हो पाई।

घर गिरने पर बांटे थे लड्डू : हत्याकांड के दूसरे दिन जब विकास का घर ढहाया गया था। घर गिराने पर विकास की दहशत में घुट-घुट कर जीने वाले ग्रामीणों ने अपने मोहल्ले में लड्डू भी बांटे थे। विकास दुबे न मरता, तो हम पर आफत का पहाड़ टूटना तय था

फरीदाबाद: पंडित, तुम पुलिस वालों को मारकर यहां क्यों आए हो। तुम्हारे साथ हम भी फंस जाएंगे। जाओ सरेंडर कर दो। हमने विकास को अपने घर से चले जाने को कहा, पर जवाब में विकास और उसके गुर्गों ने धमकाकर कहा कि चुपचाप होकर बैठ जाओ। ऐसा न हो कि कहीं तुम ही दुनिया से सरेंडर हो जाओ। बदमाशों ने हमारे फोन भी कब्जे में ले लिए। ऐसे में न तो हम शोर मचा सकीं और न पुलिस को सूचित कर सकीं। कुछ इस तरह से दैनिक जागरण के संग हाथ जोड़े और रोते हुए व्यथा साझा की अंकुर की मां शांति देवी व पत्नी गुंजन मिश्र ने।


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