उज्जैन में गिरफ्तारी और आत्मसमर्पण के बीच फंसा विकास दुबे का पेच, क्या कहते हैं पूर्व पुलिस अफसर
मध्य प्रदेश सरकार से लेकर पुलिस अधिकारियों में गिरफ्तारी का श्रेय लेने की होड़ लगी है लेकिन मौके के साक्ष्य आत्मसमर्पण की ओर इशारा कर रहे हैं।
अभिषेक दुबे, भोपाल। उत्तर प्रदेश के आठ पुलिसकर्मियों के हत्याभियुक्त कुख्यात विकास दुबे के उज्जैन में पकड़े जाने का मामला आत्मसमर्पण और गिरफ्तारी के बीच उलझ गया है। मध्य प्रदेश सरकार से लेकर पुलिस अधिकारियों में गिरफ्तारी का श्रेय लेने की होड़ लगी है, लेकिन मौकेके साक्ष्य आत्मसमर्पण की ओर इशारा कर रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार जरूर अपने अफसरों की पीठ थपथपा रही है, मगर सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारियों ने इस पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि विकास दुबे को मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया, बल्कि उसने खुद उत्तर प्रदेश सरकार से डरकर आत्मसमर्पण किया है। यदि प्रदेश की पुलिस इतनी सजग होती तो वह इतना लंबा रास्ता तय करके उज्जैन तक नहीं पहुंच पाता। उनका कहना है कि कुख्यात अपराधी की गिरफ्तारी को भी बिना वजह राजनीतिक मुद्दा बना दिया गया है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
यह कहते हैं सेवानिवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारी
सेवानिवृत्त डीजीपी एससी त्रिपाठी का कहना है कि विकास दुबे अच्छे से जानता था कि यदि वह उत्तर प्रदेश पुलिस के हाथ लग गया तो उसका एनकाउंटर कर दिया जाएगा। अपने जवानों के बलिदान होने से पुलिस में उसके प्रति बहुत ज्यादा नाराजगी है। इसी वजह से उसने उत्तर प्रदेश के बजाए मध्य प्रदेश पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करना उचित समझा। जिस तरह से सीसीटीवी कैमरों के फुटेज और फोटो में मंदिर परिसर में विकास निजी सुरक्षाकर्मियों के साथ घूमता दिख रहा है, उससे स्पष्ट है कि पहले उसे सुरक्षाकर्मियों ने अपने कब्जे में लिया। फिर इसकी सूचना पुलिस को दी है। पुलिस यदि इतनी ज्यादा अलर्ट होती तो मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा ही वह पार नहीं कर पाता। उत्तर प्रदेश के रजिस्टर्ड वाहन से उज्जैन तक पहुंचना ही बड़ी बात है।
सेवानिवृत्त डीजीपी एनके त्रिपाठी का कहना है कि विकास दुबे की गिरफ्तारी के जो दावे प्रदेश की पुलिस कर रही है वो पूरी तरह गलत है। विकास ने अपनी मर्जी और उत्तर प्रदेश पुलिस के भय से आत्मसमर्पण किया है। यदि वह आत्मसमर्पण नहीं करता तो उसका एनकाउंटर होना तय था। उत्तर प्रदेश पुलिस अपने बलिदानी साथियों का बदला उससे जरूर लेती। इससे अपराधियों में संदेश भी जाता। इस बात की जांच होनी चाहिए कि वह आखिरकार प्रदेश की सीमा में दाखिल होता हुआ उज्जैन तक पहुंचा कैसे। इस मामले में कहीं न कहीं प्रदेश की पुलिस की चूक भी है। वह पुलिस को चकमा देते हुए आत्मसमर्पण करने की अपनी स्क्रिप्ट में कामयाब हुआ है।
सेवानिवृत्त अधिकारियों के सवाल
- विकास आखिर कैसे उप्र की रजिस्टर्ड कार से उज्जैन तक पहुंच गया?
- मंदिर परिसर के सीसीटीवी फुटेज में वह निजी सुरक्षाकर्मियों के साथ घूमता दिखाई दिया, इस दौरान पुलिस कहां थी?
- मंदिर में उसने चिल्लाकर कहा कि वह ही विकास दुबे है उसे गिरफ्तार कर लो, कोई छुपने वाला अपराधी ऐसा क्यों करेगा?