साढ़े चार मिनट के Video में देखें हमारे जवान कैसे नक्सलियों से मोर्चा लेते हैं
राज्य सरकार ने साल 2020 तक राज्य को नक्सलमुक्त करने का अभियान छेड़ा है और नक्सल मोर्चे पर जवान पूरे जज्बे के साथ अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद है।
रायपुर (हिमांशु शर्मा)। पिछले दिनों सुकमा में हुई मुठभेड़ में जिला रिजर्व गार्ड की टीम ने 15 नक्सली मार गिराए थे और दो को जिंदा गिरफ्तार किया था। डीआरजी की इस साहसिक कार्रवाई को लेकर उनकी चर्चा हुई, लेकिन साथ ही बहुत से लोगों ने इस पर सवाल भी उठाए। इस तरह की मुठभेड़ों के बाद अक्सर पुलिस और सुरक्षा बलों पर सवाल उठते रहे हैं। राज्य सरकार ने साल 2020 तक राज्य को नक्सलमुक्त करने का अभियान छेड़ा है और नक्सल मोर्चे पर जवान पूरे जज्बे के साथ अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद हैं।
दैनिक जागरण के सहयोगी अखबार नई दुनिया को एक ऐसी ही मुठभेड़ का वीडियो मिला है, जिसमें साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि किस तरह जंगल में नक्सलियों की गोली का जवाब पूरी वीरता और साहस के साथ हमारे जवान दे रहे हैं। यह वीडियो साल 2017 में बीजापुर जिले में हुई मुठभेड़ का है। नक्सलियों की ओर से चल रही भारी फायरिंग के बीच ऑपरेशन के इंचार्ज अपनी टीम को निर्देश देते सुनाई पड़ रहे हैं। जिला पुलिस बल, एसटीएफ और एडवांस पार्टी के इस ज्वाइंट ऑपरेशन में पुलिस की सटीक रणनीति दिखाई पड़ रही है। इस वीडियो में साफ दिखाई पड़ रहा है कि नक्सलियों की गोली की परवाह किए बिना हमारे जवान किस दिलेरी के साथ उनका पीछा कर रहे हैं और गोलियों का जवाब गोलियों से दे रहे हैं।
दो साल में मारे गए 237 नक्सल कमाण्डर
खुद नक्सलियों ने माना है कि पिछले दो सालों में विभिन्न मुठभेड़ों में उनके 237 कमांडर मारे गए हैं, जबकि पुलिस रिकार्ड में मारे गए नक्सलियों की संख्या 247 है। इसमें हाल ही में सुकमा जिले के नुलकातोंग में मारे गए 15 नक्सली शामिल नहीं हैं। बस्तर में नक्सल मोर्चे पर इतनी सफलता इससे पहले कभी नहीं मिली थी। सुकमा जिले के कंचाल के जंगल में पिछले दिनों फोर्स 15 नक्सलियों को मारने में कामयाब हुई थी। इन इलाकों में इससे पहले फोर्स के कदम कभी नहीं पड़े थे। छत्तीसगढ़ से सटे महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में फोर्स ने 39 नक्सलियों को मार गिराया। ओडिशा के चित्रकोंडा इलाके में दो साल पहले 24 नक्सली मारे गए थे।
तेजी से सिमट रहा नक्सलवाद का दायरा
एक समय छत्तीसगढ़ के दक्षिणी और उत्तरी दोनों क्षेत्रों के लगभग सभी जिलों में नक्सली सक्रीय थे। सरगुजा, कोरिया, बलरामपुर और जशपुर जिलों में एक दशक पहले पुलिस की जोरदार कार्रवाई के बाद यहां नक्सलियों के पैर उखड़ गए और वे बस्तर के साथ ही महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिलों राजनांदगांव और कवर्धा तक सिमट कर रह गए। अब बस्तर में उनके पैर उखाड़ने का दमदार अभियान चल रहा है। अभी के हालात में सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों तक ही नक्सली सिमट कर रह गए हैं। दूसरी तरफ इनके डिप्लॉयमेंट की खबरें खुफिया विभाग द्वारा आ रही है। ठिकाना बदल रहे नक्सलियों की मांद में अब पहले से पुलिस ने सुरक्षा की कील गाड़ दी है। जल्द ही राज्य से इनका समूल सफाया होने के संकेत दिख रहे हैं।