1965 के युद्ध के बाद शुरू हुई पूर्वी पाकिस्तान को अलग करने की सोच : वाइस एडमिरल अनिल कुमार चावला
वाइस एडमिरल अनिल कुमार चावला ने शनिवार को कहा कि 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद ही पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान से अलग करने की सोच शुरू हो गई थी। इसका मुख्य मकसद पूर्वोत्तर के राज्यों में उग्रवाद को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के समर्थन को रोकना था।
बेंगलुरु, प्रेट्र। वाइस एडमिरल अनिल कुमार चावला ने शनिवार को कहा कि 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद ही पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान से अलग करने की सोच शुरू हो गई थी। इसका मुख्य मकसद पूर्वोत्तर के राज्यों में उग्रवाद को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के समर्थन को रोकना था। 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान अलग हुआ था और बांग्लादेश के रूप में एक नए देश का जन्म हुआ था।
वाइस एडमिरल ने कहा, पूर्वोत्तर में उग्रवाद को आइएसआइ के समर्थन को रोकना था मकसद
दक्षिणी नौसेना कमान के कमांडिंग-इन-चीफ फ्लैग आफिसर चावला ने कहा कि यह उल्लेख किया गया था कि युद्ध वास्तव में दिसंबर (1971) में शुरू नहीं हुआ था। वास्तव में, अगर आप पुराने दस्तावेजों को पढ़ें, 1965 के युद्ध के बाद ही पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान से अलग करने पर गंभीरता से मंथन शुरू हो गया था। वाइस एडमिरल चावला यहां 1971 के भारत-पाक युद्ध पर भारतीय वायु सेना के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस युद्ध में भारत की जीत के 50 साल पूरे होने के मौके पर इस सम्मेलन का आयोजन येलहंका वायु सेना स्टेशन में किया गया था।
1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान बना था बांग्लादेश
वायु सेना इसे 'स्वर्णिम विजय वर्ष' के रूप में मना रही है। पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कराने के लिए बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी ने पाकिस्तान की सेना के खिलाफ युद्ध छेड़ा था। भारतीय वायु सेना ने बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी का समर्थन किया था। इस युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था।
ढाका के साथ संबंध किसी भी अन्य रणनीतिक साझेदारी से गहरे : श्रृंगला
इसी कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंस के जरिये शामिल हुए विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने कहा कि भारत बांग्लादेश की आर्थिक प्रगति और समृद्धि में एक प्रतिबद्ध भागीदार बना हुआ है और दोनों देशों के बीच संबंध किसी भी अन्य रणनीतिक साझेदारी से ज्यादा गहरे हैं। गत वर्षों में भारत और बांग्लादेश के संबंध में परिपक्व हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुक्तियोद्धा आज भी दोनों देशों के बीच पुल का काम कर रहे हैं। हमारे दोनों देशों के सुरक्षा बलों के बीच नियमित आदान-प्रदान हमारे साझा सुरक्षा विचारों का प्रतिबिंब है।