'वंदेमातरम' गाने से किसी को परेशानी क्यों : वेंकैया नायडू
वेंकैया ने कहा कि 20वीं सदी के संत साईंबाबा हिंदू थे या मुस्लिम, यह एक अनावश्यक मसला है।
शिरडी, प्रेट्र। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शनिवार को आश्चर्य जताते हुए कहा कि किसी को 'वंदेमातरम' गाने से क्या परेशानी हो सकती है क्योंकि इसका मतलब होता है कि मां को नमन। यह एक ऐसा गीत है जिसने स्वाधीनता आंदोलन के दौरान करोड़ों लोगों को प्रेरित किया था।
शिरडी स्थित श्रीसाईंबाबा संस्थान द्वारा आयोजित ग्लोबल साईं टेम्पल ट्रस्ट समिट का उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, 'मां की कोई तस्वीर नहीं है बल्कि हमारी मातृभूमि है। वंदे मातरम का मतलब मां को नमन है। किसी को इसमें परेशानी क्यों होनी चाहिए। हमारी अलग-अलग जाति, संप्रदाय और धर्म होने के बावजूद हम एक राष्ट्र, एक जनता और एक देश हैं।'
वेंकैया ने कहा कि 20वीं सदी के संत साईंबाबा हिंदू थे या मुस्लिम, यह एक अनावश्यक मसला है। वह एक सर्वस्वीकार्य गुरु थे जिन्होंने हिंदूवाद और सूफीवाद के मूल सिद्धांतों को एक दूसरे में समाहित कर दिया था। साईंबाबा की मानवता की सेवा, शांतिपूर्ण अस्तित्व और दूसरों के साथ भाईचारे के साथ रहने की शिक्षाओं को आत्मसात करने की जरूरत है। यही उनको सही मायनों में श्रद्धांजलि होगी। साईंबाबा मानवता की सेवा को ही भगवान की सेवा मानते थे।
बता दें कि मुंबई से 238 किमी दूर शिरडी में साईंबाबा का प्रसिद्ध मंदिर है। अक्टूबर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी यहां आए थे और एयरपोर्ट की नवनिर्मित इमारत का उद्घाटन किया था।
यह भी पढ़ें: हिंदी के बिना देश में प्रगति संभव नहीं, मातृभूमि को नहीं भूलना चाहिए: उपराष्ट्रपति