वेमुला दलित था, न्यायिक आयोग की रिपोर्ट झूठी : पुनिया
पूनिया ने न्यायिक आयोग की ओर से वेमूला को दलित नहीं मानने की रिपोर्ट को झूठी व काल्पनिक बताया है।
बाराबंकी/नई दिल्ली। हैदराबाद यूनिवर्सिटी के शोध छात्र रोहित वेमूला की मौत को लेकर न्यायिक आयोग और राष्ट्रीय अजा-जजा आयोग आमने-सामने आ गए हैं। अजा आयोग के अध्यक्ष पीएल पूनिया ने न्यायिक आयोग की ओर से वेमूला को दलित नहीं मानने की रिपोर्ट को झूठी व काल्पनिक बताया है। उन्होंने कहा कि वह दलित था।
पूनिया का यह बयान उन खबरों के बीच आया है, जिनमें कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज एके रूपनवाल की अध्यक्षता वाले एक सदस्यीय न्यायिक आयोग ने वेमुला को अनुसूचित जाति का नहीं माना है।
राष्ट्रीय अजा-जजा आयोग के अध्यक्ष पूनिया का कहना है कि न्यायिक आयोग का गठन यह जांच करने के लिए किया गया था कि रोहित ने सुसाइड क्यों किया? और उसके कौन जिम्मेदार हैं? यह पता लगाने के बजाए आयोग वेमुला की जाति पता लगाने की कोशिश कर रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। आयोग की रिपोर्ट झूठी है। जाति संबंधी फैसले का अंतिम निर्णय जिला कलेक्टर करते हैं और कलेक्टर ने हमें सुबूतों के साथ रिपोर्ट दी है कि वह अजा का था न कि पिछड़े वर्ग का।
वेमुला को अभाविप के एक नेता से दुर्व्यवहार के बाद यूनिवर्सिटी से सस्पेंड किया गया था। इसके कुछ दिनों बाद उसने खुदकुशी कर ली थी। इस पर देशभर के शिक्षा परिसरों में बवाल मचा था। न्यायिक जांच के लिए जस्टिस रूपनवाल आयोग बनाया गया था। खबरों में कहा गया है कि आयोग ने वेमुला को दलित नहीं माना है।
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