राजस्थान में वसुंधरा के नेतृत्व में विस चुनाव लड़ेगी भाजपा
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। राजस्थान भाजपा में महीनों से जारी अंदरूनी खींचतान पर आखिरकार लगाम लग गई है। पार्टी नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को प्रदेश इकाई की कमान सौंप दी है। विस चुनाव में वसुंधरा को चेहरा बना कर अशोक गहलोत सरकार से मुकाबला किया जाएगा। सामंजस्य के तहत विरोधी खेमे के गुलाबचंद कटारिया को विस में नेता प
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। राजस्थान भाजपा में महीनों से जारी अंदरूनी खींचतान पर आखिरकार लगाम लग गई है। पार्टी नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को प्रदेश इकाई की कमान सौंप दी है। विस चुनाव में वसुंधरा को चेहरा बना कर अशोक गहलोत सरकार से मुकाबला किया जाएगा। सामंजस्य के तहत विरोधी खेमे के गुलाबचंद कटारिया को विस में नेता प्रतिपक्ष का पद दिया जाएगा। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने शनिवार को दिल्ली में यह घोषणा की।
अगले कुछ माह में ही विस चुनाव में उतरने जा रही भाजपा पिछली गलतियां नहीं दुहराना चाहती है। दैनिक जागरण ने दो दिन पहले ही इसकी जानकारी दे दी थी कि संकट के बचने के लिए संगठन की कमान वसुंधरा के हाथ में ही दी जाएगी,लेकिन सामंजस्य बनाए रखने के लिए विरोधी खेमे को विस में जिम्मेदारी दी जाएगी।
शनिवार को पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली के आवास पर फिर राजनाथ के आवास पर चली बैठकों में प्रदेश के सभी नेताओं को इसके लिए राजी कर लिया गया। वसुंधरा की मांग को मानते हुए प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा उन्हें सौंपा गया है। घोषणा के बाद वसुंधरा और कटारिया दोनों ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि संगठन में सभी को मिलकर काम करना होता है और सभी की अहमियत होती है।
ज्ञात हो,वसुंधरा की लगातार शिकायत रही थी कि संगठन से उन्हें पूरा समर्थन नहीं मिल रहा है। पिछले चुनाव में हुई हार का जिम्मा भी उन्होंने संगठन व विस के नेतृत्व के बीच मतभेद पर ही फोड़ा था। संगठन में कुछ व्यक्तियों को लेकर उन्हें खासा एतराज था, जिसमें कटारिया और तिवाड़ी समेत कप्तान सिंह सोलंकी का भी नाम शामिल था। केंद्रीय नेतृत्व ने वसुंधरा विरोधी खेमे के नेता कटारिया को नेता प्रतिपक्ष का पद देकर विरोधियों को फिलहाल मना लिया है। बताते हैं कि यह खेमा चुनाव संचालन समिति में भी जिम्मेदारी चाहता है, लेकिन उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिला है। दरअसल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि संगठन की कमान देने के बाद वसुंधरा की सहमति के बगैर चुनाव में किसी दूसरे को जिम्मेदारी देना वाजिब नहीं होगा। लिहाजा इस मुद्दे पर आगे चर्चा हो सकती है।
वसुंधरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का मन पूर्व अध्यक्ष नीतिन गडकरी के समय ही हो गया था, लेकिन विरोधी खेमे के रुख के कारण इसकी घोषणा नहीं हो पाई थी। राजनाथ ने अपने कार्यकाल में सबसे पहले राजस्थान संकट को ही निपटाया है।
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