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वैक्सीन की दो डोज लेने वाले 25 फीसद मरीज ही हुए संक्रमित, ठीक भी हुए जल्दी, ब्लैक फंगस का खतरा भी कम

कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वाले लोगों को कोरोना के नए स्ट्रैन ने भी कम नुकसान पहुंचाया है। मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित अरबिंदो अस्पताल में चेस्ट स्कैन कराने वाले 75 मरीजों के अध्ययन में यह सामने आया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 24 May 2021 11:00 PM (IST)Updated: Mon, 24 May 2021 11:13 PM (IST)
वैक्सीन की दो डोज लेने वाले 25 फीसद मरीज ही हुए संक्रमित, ठीक भी हुए जल्दी, ब्लैक फंगस का खतरा भी कम
कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वाले लोगों को कोरोना के नए स्ट्रैन ने भी कम नुकसान पहुंचाया है।

इंदौर, अभिषेक चेंडके। कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वाले लोगों को कोरोना के नए स्ट्रैन ने भी कम नुकसान पहुंचाया है। मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित अरबिंदो अस्पताल में चेस्ट स्कैन कराने वाले 75 मरीजों के अध्ययन में यह सामने आया है। इसमें निष्कर्ष निकला कि जिन लोगों ने टीके की दोनों डोज लगवा ली थीं, वे संक्रमित तो हुए लेकिन उनके लिए कोरोना जानलेवा साबित नहीं हुआ।

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उनके फेफड़े 25 प्रतिशत से कम संक्रमित हुए। फेफड़ों के संक्रमण से मुक्त होने में भी उन्हें अपेक्षाकृत कम समय लगा। 75 में से नौ मरीजों में ही ब्लैक फंगस के लक्षण मिले। वहीं जिन्होंने वैक्सीन की एक भी डोज नहीं ली थी, उनमें ब्लैक फंगस के लक्षण ज्यादा मिले। अर्थात वैक्सीन से ब्लैक फंगस का खतरा भी कम है।

चेस्ट स्कैन कराने वाले 75 मरीजों पर किया अध्ययन, जरूरी हैं दोनों डोज

अरबिंदो अस्पताल में भर्ती 75 मरीजों पर किए गए अध्ययन में 30 फीसद मरीजों में कोरोना का संक्रमण कम पाया गया। भर्ती होते समय इन मरीजों से टीका लगवाने की जानकारी भी अस्पताल प्रबंधन ने जुटाई थी। इन मरीजों ने टीके की दोनों डोज लगवाई थीं। इनमें से ज्यादातर को आक्सीजन की जरूरत ही नहीं पड़ी और शरीर में कोरोना संक्रमण भी लंबे समय तक नहीं रहा। जिन लोगों को दोनों डोज लगी हैं, उनमें ब्लैक फंगस होने की आशंका भी कम है। 

इंदौर के जिला टीकाकरण अधिकारी डा. प्रवीण जड़िया का कहना है कि वैक्सीन कोरोना संक्रमण के अलावा दूसरे संक्रमण से भी शरीर की रक्षा करता है। निश्चित रूप से इसे लगवाने पर ब्लैक फंगस का खतरा भी कम हो जाता है।

सिंगल डोज में भी ज्यादा संक्रमण

इंदौर के अरबिंदो अस्पताल के चेयरमैन डा. विनोद भंडारी ने कहा कि सिंगल डोज लगवाने या एक भी डोज नहीं लगवाने वाले संक्रमित लोगों में संक्रमण 30 से 80 फीसद तक मिला है। उन्हें सांस लेने की तकलीफ भी देखी गई। लेकिन दोनों डोज लेने वालों में संक्रमण 25 फीसद से कम मिला। हमने अस्पताल के 75 मरीजों पर अध्ययन किया था। उसमें यह निष्कर्ष निकला।


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