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आपका इलेक्ट्रिक गाड़ी का इस्तेमाल बचा सकता है सैकड़ों लोगों की जान, रिसर्च में हुआ खुलासा

रिसर्च में सामने आया कि अगर भारी गाड़ियों की बजाए सिर्फ छोटी गाड़ियों को इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बदल दिया जाए तो लोगों की सेहत पर होने वाले खर्च में और कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन में लगभग दो गुनी कमी आएगी।

By TilakrajEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 03:38 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 03:38 PM (IST)
आपका इलेक्ट्रिक गाड़ी का इस्तेमाल बचा सकता है सैकड़ों लोगों की जान, रिसर्च में हुआ खुलासा
साल 2010 से 2020 के बीच लीथियम आयन बैटरी की कीमत में 89% फीसदी की गिरावट देखी गई

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/ विवेक तिवारी। स्विट्जरलैंड स्थित क्लाइमेट समूह जो संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का एक प्रौद्योगिकी भागीदार भी है, के मुताबिक दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों में से तीन शहर भारत के हैं। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के लोग खतरनाक वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं। दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को दूर करने में इलेक्ट्रिक वाहनों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बढ़ता इस्तेमाल वायु प्रदूषण घटाने के साथ ही ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर भी लगाम लगा सकता है।

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अमेरिका स्थित नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में कार्बन और जलवायु विज्ञान के एक शोध कार्यक्रम के तहत एक मॉडल के जरिए चीन में बेहद प्रदूषित दिनों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि डीजल से चलने वाले भारी वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक भारी वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है तो हवा में नाइट्रिक ऑक्साइड और हवा में मौजूद छोटे प्रदूषित कणों जिन्हें हम पर्टिकुलेट मैटर के तौर पर जानते हैं इनकी मात्रा में बड़े पैमाने पर कमी की जा सकती है। इससे हर साल प्रदूषण से होने वाली मौतों की संख्या में लगभग 562 की कमी की जा सकती है। वहीं छोटी पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों को इलेक्ट्रिक में बदल दिया जाए तो ग्रीन हाउस गैसों में उत्सर्जन में कमी के साथ ही हर साल लगभग 145 लोगों की जान बचाई जा सकेगी।

वहीं रिसर्च में सामने आया कि अगर भारी गाड़ियों की बजाए सिर्फ छोटी गाड़ियों को इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बदल दिया जाए तो लोगों की सेहत पर होने वाले खर्च में और कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन में लगभग दो गुनी कमी आएगी।

मिनिस्ट्री ऑफ हेवी इंडस्ट्रीज की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ई-वाहन पोर्टल पर पिछले तीन सालों में लगभग 5,17,322 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। जबकि इनमें से लगभग 1,04,806 इलेक्ट्रिक गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन सिर्फ 2021 में हुआ है। देश में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए, भारी उद्योग मंत्रालय ने 2015 में (हाइब्रिड और) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया (FAME India) योजना शुरू की।

केंद्र ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए अन्य पहल की है। मई 2021 में, केंद्र ने बैटरी की कीमतों को कम करने के लिए देश में एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) के निर्माण के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी गई। केंद्र ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर GST भी 12% से घटाकर 5% कर दिया है। इससे पहले, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने घोषणा की थी कि बैटरी से चलने वाले वाहनों को हरी लाइसेंस प्लेट दी जाएगी और उन्हें परमिट लेने की जरूरत नहीं होगी।

इलेक्ट्रिक गाड़ियों से कितना कम होगा प्रदूषण

इलेक्ट्रिक गाड़ी में किसी तरह का कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। एक रिपोर्ट के एक डीजल या पेट्रोल गाड़ी की तुलना में एक इलेक्ट्रिक गाड़ी के सड़क पर चलने से लगभग 1.5 मिलियन ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आती है। इस कमी को आप ऐसे समझ सकते हैं कि लंदन से बार्सिलोना की चार रिटर्न फ्लाइटों के उड़ने से इतने कार्बन का उत्सर्जन होता है।

इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लेकर भारत में ये है प्लानिंग

-नीति आयोग की “India’s Electric Mobility Transformation रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2030 तक 70 फीसदी कॉमर्शियल गाड़ियां, 40 फीसदी बस, और 80 फीसदी तक दो पहिया और तीन पहिया वाहन इलेक्ट्रिक हो चुके होंगे। इससे CO2 उत्सर्जन में लगभग 846 मिलियन टन की कमी आएगी। वहीं इन इलेक्ट्रिक गाड़ियों के चलते लगभग 474 मिलियन टन तेल की बचत होगी जिसकी कीमत लगभग 207.33 बिलियन डॉलर होगी।

इलेक्ट्रिक गाड़ी से पेट्रोल कार की तुलना करें

लग्जबर्ग इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने इलेक्ट्रिक कारों और पेट्रोल गाड़ियों से होने वाले उत्सर्जन और पर्यावरणीय प्रभाव की तुलना करने में आपकी मदद करने के लिए एक शानदार टूल विकसित किया है। इस टूल बनाने का मुख्य उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को यह बताना है कि क्यों, कैसे और किन मामलों में इलेक्ट्रो-मोबिलिटी वास्तव में आपको और पर्यावरण को फायदा पहुंचा रही है। दूसरा उद्देश्य यह दिखाना है कि किन परिस्थितियों में इलेक्ट्रिक वाहन बेहतर साबित हो सकते हैं।

बैटरी की गिरती कीमत से सस्ती हुई गाड़ियां

साल 2010 से 2020 के बीच लीथियम आयन बैटरी की कीमत में 89% फीसदी की गिरावट देखी गई है। इसके चलते इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमतों में भी गिरावट देखी गई है। आने वाले समय में भी बैटरी की कीमत में कमी और आधुनिक तकनीक के चलते गाड़ियों की कीमत में कमी देखी जाएगी।

ये हैं राज्यों की तैयारी

दिल्ली

एनसीटी ऑफ दिल्ली की इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी 2018 के मुताबिक 2023 तक दिल्ली में रजिस्टर होने वाली गाड़ियों में 25 फीसदी इलेक्ट्रिक गाड़ियों का लक्ष्य रखा गया है 2023 तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम में 50 फीसदी गाड़ियां इलेक्ट्रिक होंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरियों को रीसाइकिल करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश की इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी 2018 के मुताबिक 2030 तक उत्तर प्रदेश में 1000 इलेक्ट्रिक बसों का लक्ष्य रखा गया है लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और गाजियाबाद में ऑटो रिक्शा, स्कूल बस, वैन और कैब को 100 फीसदी इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य रखा गया है

सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चर्स (SIAM) ने व्हाइट पेपर पेश करके 2047 तक देश में 100 फीसदी इलेक्ट्रिक व्हीकल लाए जाने बात कही है। ऐसे में आजादी के 100 साल पूरे होने पर देश एक बड़ी उपलब्धि हासिल करेगा। हालांकि सरकार जीरो एमीशन के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक व्हीकल के साथ ही हाइड्रोजन व्हीकल को भी बढ़ावा देने पर विचार कर रही है। आने वाले समय में हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियां भी सड़कों पर देखी जा सकती हैं। सरकारों की ओर से दिए जा रहे प्रोत्साहन से भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या आने वाले दिनों में तेजी से बढ़ेगी।

केके गांधी

कनवेनर, सेंटर फॉर ऑटो पॉलिसी एंड रिसर्च फाउंडर मेम्बर सेकेट्री, हाइड्रोजन एसोसिएशन ऑफ इंडिया


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