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स्कीमों का लाभ सुनिश्चित कराने को होगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल

एनआइसी सरकार के पूरे डिजिटल सूचना तंत्र को संभालती है। साथ ही एनआइसी डिजिटल निगरानी का काम भी करती है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 12 Jan 2019 08:00 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 10:53 PM (IST)
स्कीमों का लाभ सुनिश्चित कराने को होगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल
स्कीमों का लाभ सुनिश्चित कराने को होगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी स्कीमों का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे इसके लिए सरकार अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद लेने जा रही है। इसकी शुरुआत स्वच्छ भारत अभियान के तहत टायलेट निर्माण और स्वास्थ्य क्षेत्र की महत्वाकांक्षी स्कीम आयुष्मान भारत से होगी। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल से इन दोनों स्कीमों में लीकेज रोकने में मदद मिल सकेगी। इन दोनों स्कीमों के लिए नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआइसी) पायलट परियोजना तैयार कर रहा है।

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एनआइसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इसके लिए एक एप्लीकेशन तैयार की गई है जिसके जरिए लाभार्थी की तरफ से भेजी गई टायलेट और उसकी खुद की फोटो का सत्यापन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए होगा। एप्लीकेशन खुद ब खुद सब्सिडी के आवेदन के लिए भेजी गई तस्वीर का मिलान लाभार्थी की तस्वीर से कर लेगी। इसके अलावा एप्लीकेशन के जरिए यह भी पता लगाया जा सकेगा कि सब्सिडी का दावा करने के लिए जिस टायलेट का फोटो लाभार्थी ने भेजा है उसका दोहराव तो नहीं हो रहा है?

यही नहीं टायलेट का निर्माण तय मानकों पर किया गया है अथवा नहीं, यह काम भी एप्लीकेशन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से सुनिश्चित करेगी। एनआइसी की इस एप्लीकेशन का इस्तेमाल जल्द ही एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू होगा। दूसरी तरफ आयुष्मान भारत स्कीम में भी लाभार्थियों की पहचान सुनिश्चित करने और उनमें दोहराव को रोकने के लिए इस तरह की एप्लीकेशन का इस्तेमाल होगा।

एनआइसी सरकार के पूरे डिजिटल सूचना तंत्र को संभालती है। साथ ही एनआइसी डिजिटल निगरानी का काम भी करती है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद के निर्देश पर ही एनआइसी ने सरकारी स्कीमों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल पर काम शुरू किया। प्रसाद का कहना है कि सरकारी स्कीमों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल से सब्सिडी की लीकेज और उसमें दोहराव की स्थिति को रोकने में मदद मिलेगी। उनका मानना है कि जिस तरह डीबीटी के जरिए सरकार को सब्सिडी बचाने में मदद मिली है उसी तरह स्कीमों के अनुपालन में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल से भी काफी बचत संभव होगी।

एनआइसी सरकार के लिए डोटा सेंटर और क्लाउड सेवाओं का संचालन करती है। देश भर में इसके चार राष्ट्रीय डेटा सेंटर और 30 मिनी डेटा सेंटर हैं। इनके द्वारा करीब 10000 ई-गवर्नेस एप्लीकेशन चलाये जाते हैं।


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