अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का कश्मीर पर पड़ेगा असर: पूर्व डीजीपी जम्मू एंड कश्मीर
कुमार के मुताबिक अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का कश्मीर घाटी पर असर पड़ेगा
पुणे, प्रेट्र। कश्मीर मसले के समाधान के लिए भारत को स्पष्ट नीति अपनानी चाहिए। यह कहना है जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी के राजेंद्र कुमार का। कुमार के मुताबिक अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का कश्मीर घाटी पर असर पड़ेगा और इससे आतंकी संगठनों का मनोबल भी बढ़ सकता है।
यहां शरद संगठन की ओर से आयोजित ललितादित्य स्मारक व्याख्यान में कुमार ने कहा कि पाकिस्तान घाटी में आतंकी गतिविधियों को समर्थन देता है। भारत को इसके लिए पाकिस्तान को ऐसी चोट पहुंचानी चाहिए जिसका दर्द वह देर तक महसूस करे। और वह भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को समर्थन देने से पहले दो बार सोचे। कुमार ने कहा कि अभी पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई की चुभन महसूस नहीं हो रही है।
बढ़ सकता है आतंकियों का मनोबल
कुमार ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी से आतंकी संगठनों का मनोबल बढ़ेगा। वह इसे अपनी जीत के रूप में देखेंगे। उन्हें यह भी लगने लगेगा कि कश्मीर घाटी में भी वह भारत को पराजित कर सकते हैं। इसलिए कश्मीर में आतंकवाद से निपटने के लिए भारत द्वारा एक स्पष्ट नीति अपनाए जाने की फौरी जरूरत है।
अफगान में सात हजार अमेरिकी फौज
अफगानिस्तान में अमेरिका के करीब सात हजार फौजी हैं, जो मुख्यतया अफगानी फौज को तालिबान और इस्लामी आतंकियों से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करने और सलाह देने के काम में लगे हैं।
पाक सरकार की एक नीति
कश्मीर घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की स्पष्ट भूमिका का उल्लेख करते हुए राज्य के पूर्व डीजीपी ने कहा कि उदंड पड़ोसी सिर्फ आतंकियों को समर्थन ही नहीं दे रहा बल्कि जिहाद के नाम पर अपने नागरिकों को भी घाटी में भेज रहा है। यह कोई मायने नहीं रखता है कि वहां किसकी सरकार है, पाकिस्तान घाटी में आतंकवाद का समर्थन जारी रखता है। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में स्थानीय आतंकी संगठनों के जरिए आतंकवाद की शुरुआत हुई थी, लेकिन अब इस्लामी समूहों ने अपना कब्जा जमा लिया है।
सूफीवाद को बढ़ावा मिले
कुमार चाहते हैं कि कश्मीर घाटी में एक बार फिर सूफीवाद का बोलबाला हो। उनका कहना था कि कभी घाटी में सूफीवाद का वर्चस्व था, लेकिन धीरे-धीरे वहाबीवाद ने अपना दबदबा कायम कर लिया।
सरकार को सुझाव
आतंकवाद से निपटने के उपायों पर सुझाव देते हुए कुमार कहते हैं कि राष्ट्र विरोधी ताकतों से निपटने के लिए राज्य में सख्त कानून की जरूरत है। युवाओं को आतंकवाद के रास्ते से हटाने के लिए ठोस नीति भी जरूरी है। समर्पण नीति ऐसी होनी चाहिए कि एक बार हथियार डालने वाले युवा दोबारा उस रास्ते पर लौटने की ना सोचें। नागरिक समितियों को भी शक्तिशाली और प्रभावी बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया ने युवाओं की भावनाओं को भड़काने में विध्वंसक भूमिका निभाई है।