Move to Jagran APP

जमीन पर नहीं पड़ेगा अमेरिकी संसद की सुनवाई का असर, छाया रहा था कश्मीर का मुद्दा

अमेरिका के कुछ महत्वपूर्ण सांसदों ने भले ही कश्मीर के हालात को लेकर भारत के फैसले पर तल्ख टिप्पणी की हो लेकिन अमेरिकी सरकार यह मानती है कि भारत के संस्थान इतने सक्षम है कि कश्मीर के उपजे मुद्दों को सुलझा सकते हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 08:44 PM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 08:44 PM (IST)
जमीन पर नहीं पड़ेगा अमेरिकी संसद की सुनवाई का असर, छाया रहा था कश्मीर का मुद्दा
जमीन पर नहीं पड़ेगा अमेरिकी संसद की सुनवाई का असर, छाया रहा था कश्मीर का मुद्दा

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। अमेरिका के कुछ महत्वपूर्ण सांसदों ने भले ही कश्मीर के हालात को लेकर भारत के फैसले पर तल्ख टिप्पणी की हो, लेकिन अमेरिकी सरकार यह मानती है कि भारत के संस्थान इतने सक्षम है कि कश्मीर के उपजे मुद्दों को सुलझा सकते हैं। बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस में दक्षिण एशिया में मानवाधिकार मुद्दे पर सुनवाई थी, जिसमें अमेरिकी सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा बाहरी क्षेत्र के भी कई लोगों को बुलाया गया था। सुनवाई में कश्मीर के हालात पर छह-सात अमेरिकी सांसदों ने भारत के हितों को प्रभावित करने वाली टिप्पणी की है।

loksabha election banner

जानकारों की मानें तो इन टिप्पणियों या अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट का भारत व अमेरिका के रिश्तों पर कोई असर नहीं होगा, लेकिन कश्मीर के मुद्दे पर भारत को घेरने वाली शक्तियां इन रिपोर्टों का इस्तेमाल कर असहज स्थिति जरूर पैदा कर सकती हैं। सुनवाई के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्रालय में उप सचिव (दक्षिण व केंद्रीय एशिया) एलिस वेल्स ने भारत और अमेरिका के रिश्तों की मजबूती को लेकर अपनी सरकार का भरोसा जताया है और इस बात से साफ इनकार किया है कि मोदी सरकार के साथ अमेरिका के रिश्ते मूल्यों पर निर्भर नहीं है।

वेल्स ने मोदी के दोबारा भारी बहुमत से चुनाव जीतने का भी उदाहरण देते हुए यह भी कहा, 'धारा 370 हटाने का फैसला भारतीय संसद की स्वीकृति के बाद किया गया। उसमें विपक्षी दलों के सदस्यों ने भी पार्टी लाइन से बाहर जा कर वोट किया। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है। भारत के लोकतांत्रिक संस्थान सही काम कर रहे हैं।'

वेल्स के सहयोगी रोबर्ट डेस्ट्रो भी कई बार सांसदों के सवाल जवाब में अपना धैर्य खोते दिखे। एक बार उन्होंने कश्मीर के हालात को मानवीय संकट के तौर पर भी चिन्हित किया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उक्त अधिकारियों ने वैसे पाकिस्तान को भी कटघरे में खड़ा किया है कि किस तरह से उसकी तरफ से आतंकियों को पनाह दिए जाने से हालात बिगड़ते हैं। लेकिन कश्मीर पर उनके कुछ बयानों को अंतिम रिपोर्ट में स्थान मिलने से भारत के लिए असहज स्थिति होने का खतरा है।

भारत ने संसदीय कार्रवाई पर कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है, लेकिन जानकारों का मानना है कि इसका जमीनी तौर पर कोई खास असर नहीं होता है। पूर्व में भी कश्मीर और पंजाब के हालात को लेकर अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट में भारत सरकार की नीतियों की भ‌र्त्सना की गई है, लेकिन उसका दोनों देशों के रिश्तों पर असर नहीं पड़ा है। अमेरिकी कांग्रेस की तरफ से मानवाधिकार व धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी होने वाली रिपोर्ट में भी कई बार भारत के खिलाफ तल्ख टिप्पणी होती है जिसे हर बार खारिज कर दिया जाता है।

हालांकि, अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट के आधार का इस्तेमाल पाकिस्तान या दूसरे देश भारत के खिलाफ कश्मीर मुद्दे में कर सकते हैं। कई यूरोपीय देशों के पार्लियामेंट में भी मानवाधिकार पर जो रिपोर्ट तैयार की जाती है, उसमें अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट का जिक्र किया जाता है। कई देश अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई करते हुए अपनी अलग रिपोर्ट तैयार करते हैं। संयुक्त राष्ट्र से जुड़े कई गैर सरकारी संगठन भी इन रिपोर्टों के आधार पर चिन्हित देशों के खिलाफ मुहिम चलाते हैं।

अमेरिकी सांसद इल्हाम ओमार ने जिस तरह से पूरी सुनवाई के दौरान भारत विरोधी रुख अख्तियार किया था उसको अभी से एक खास वर्ग सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने में जुट गया है। सुश्री ओमार ने कश्मीर के साथ ही असम में नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजनशिप (एनआरसी) के मुद्दे को जिस तरह से उठाया है उसे भुनाने की पूरी कोशिश हो रही है। सुनवाई की अध्यक्षता कांग्रेस सदस्य ब्रैड शेरमैन ने की। इसमें भारतीय मूल की कांग्रेस सदस्य प्रमिला जयपाल, शीला जैकसन ली समेत अन्य कई सदस्यों ने हिस्सा लिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.