'हम तो शिकार करते रहेंगे...', ड्रग बोट हमले में 3 लोगों की मौत के बाद क्या बोले अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ?
अमेरिका ने कैरिबियन सागर में एक ड्रग तस्कर नाव पर हमला किया। इसमें तीन लोग मारे गए। राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश पर हुए इस हमले को रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने आतंकवादी संगठन के खिलाफ कार्रवाई बताया। इस घटना पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है, संयुक्त राष्ट्र ने स्वतंत्र जांच की मांग की है।
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका ने कैरिबियन सागर में एक ड्रग तस्कर नाव पर घातक हमला किया है। इसमें तीन लोग मारे गए। रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने रविवार को यह जानकारी दी। जानकारी के अनुसार, हमला राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के सीधे आदेश पर हुआ।
नाव अंतरराष्ट्रीय जल में थी और एक ड्रग तस्करी संगठन चला रही थी। हेगसेथ ने इसे आतंकवादी संगठन की नाव बताया है। हमले में तीनों लोग मारे गए, जबकि कोई अमेरिकी सैनिक घायल नहीं हुआ। हेगसेथ ने कहा, "रक्षा विभाग इन्हें अल-कायदा की तरह ट्रीट करेगा। हम इन्हें ट्रैक करेंगे, मैप करेंगे, शिकार करेंगे और मारेंगे।"
ट्रंप का सख्त ऐलान
सितंबर से अब तक ऐसी कार्रवाइयों में कम से कम 65 लोग मारे जा चुके हैं। पहला हमला एक वेनेजुएला की नाव पर हुआ, जिसमें 11 लोग मारे गए। ट्रंप ने इन्हें ट्रेन डी अरागुआ गैंग के आतंकवादी बताया, जिसे उनकी सरकार ने आतंकी संगठन घोषित किया है। इसके बाद अमेरिका ने कैरिबियन में नौसेना के जहाज तैनात किए। प्यूर्टो रिको में एफ-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान भेजे गए। वॉशिंगटन ने इसे दक्षिण अमेरिका से आने वाली ड्रग तस्करी रोकने की मुहिम बताया।
पिछले हफ्ते पूर्वी प्रशांत महासागर में दो और नावें तबाह की गईं। इससे यह अभियान कैरिबियन से बाहर प्रशांत तक फैल गया है। ट्रंप ने कहा, "ड्रग्स हमारे लोगों को मार रहे हैं, इसलिए सैन्य बल का इस्तेमाल जरूरी है।"
दुनिया में बढ़ती आलोचना
लेकिन इस मुहिम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी आलोचना हो रही है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर ट्र्क ने हमलों को 'अस्वीकार्य' बताया और स्वतंत्र जांच की मांग की। यूएन की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने जेनेवा में कहा, "ये हमले और इनकी बढ़ती मानवीय कीमत अस्वीकार्य हैं।"
दशकों से समुद्री ड्रग तस्करी को कानून प्रवर्तन का मामला माना जाता था, लेकिन अब सैन्य बल का इस्तेमाल हो रहा है।
कानूनी सवाल गहराए
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, यह अमेरिकी नीति में बड़ा बदलाव है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे सैन्य हमले अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हैं। ट्रंप प्रशासन ने अब तक नावों के आतंकी संगठनों से जुड़े होने के ठोस सबूत नहीं दिए हैं।

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