चीन-ईरान से तनाव के चलते बेहद अहम है US नेवी चीफ की तीन दिवसीय भारत यात्रा
चीन और ईरान से बढ़ते तनाव के बीच हो रही अमेरिकी नौसेना प्रमुख एडमिरल रिचर्डसन की भारत यात्रा काफी अहम है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अमेरिकी नौसेना प्रमुख एडमिरल जॉन रिचर्डसन का आज से तीन दिवसीय भारत दौरा शुरू हो रहा है। उनका यह दौरा कई मायने में खास माना जा रहा है। उनका यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ा हुआ है और ईरान के मद्देनजर अमेरिका ने बम वर्षक विमान समेत विमानवाहक पोत की भी तैनाती मध्य एशिया में की है। इतना ही नहीं अमेरिका ने ईरान से बढ़ते तनाव को देखते हुए पेट्रिएक मिसाइल की तैनाती भी बढ़ा दी है। इसके अलावा इस दौरे की दूसरी अहमियत चीन को देखते हुए भी मानी जा रही है। गौरतलब है कि अमेरिका और चीन के बीच चल रहा ट्रेडवार उस वक्त और तीखा हो गया है जब अमेरिका ने चीन से आने वाले 200 अरब डॉलर के उत्पाद पर शुल्क 25 फीसद करने का एलान किया है। वहीं दूसरी तरफ चीन ने भी जवाब देने का मन बना लिया है। इसके अलावा चीन के साथ दक्षिण चीन सागर पर दोनों देशों के बीच उपजा तनाव किसी से भी अछूता नहीं रहा है। अमेरिका वहां पर रणनीतिक बढ़त बनाना चाहता है, जिसमें भारत उसका बड़ा सहयोगी बन सकता है। यही वजह है कि एडमिरल रिचर्डसन के इस दौरे को काफी अहम माना जा रहा है।
एडमिरल की यात्रा पर अमेरिकी बयान
रिचर्डसन की भारत यात्रा से पहले ही अमेरिकी नौसेना ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस यात्रा का मकसद दोनों देशों की नौसेना के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना तथा सूचनाओं के आदान-प्रदान पर बल देना है। खुद एडमिरल रिचर्डसन भी इस यात्रा को लेकर काफी उत्सुक दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि रणनीतिक माहौल काफी जटिल हो गया है। उनके मुताबिक दोनों देशों को साझा चुनौतियों से निपटने के लिए बार-बार चर्चा करने की जरूरत है।
चीन से विवाद के चलते यात्रा काफी अहम
अपनी इस आधिकारिक यात्रा के दौरान रिचर्डसन भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा से मुलाकात करेंगे। इस दौरान दोनों के बीच कई रणनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा होगी। इसके अलावा वह सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे। आपको बता दें कि एडमिरल रिचर्डसन की यह दूसरी भारत यात्रा है। भारत की नजर से इस यात्रा को देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों के दौरान चीन ने हिंद महासागर में चरणबद्ध तरीके से अपनी पैठ बढ़ाई है। चीन के कदमों को सीमित करने के लिहाज से भी एडमिरल रिचर्डसन की यह यात्रा काफी मायने रखती है। यहां पर आपको ये भी बता दें कि चीन ने अपनी कर नीति के तहत भारत के सभी पड़ोसी देशों को अपने हक में करने की जो मुहिम शुरू की है वह उसमें कुछ हद तक कामयाब जरूर हुआ है। श्रीलंका मालदीप और पाकिस्तान में उसने अपनी कर नीति और निवेश के जरिए जबरदस्त पैठ बनाई है।
पैठ बनाना चाहता है अमेरिका
यह यात्रा इस लिहाज से भी खास है कि एक तरफ अमेरिका जहां दक्षिण चीन सागर में अपनी पैठ बढ़ाना चाहता है वहीं दूसरी तरफ भारतीय नौसेना वहां होने वाले अमेरिका, फिलीपींस तथा जापान के साथ पहले संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा ले रही है। अमेरिका विवादित दक्षिण चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता को लेकर चरणबद्ध तरीके से कई युद्धाभ्यास कर चुका है। इससे पहले भी चीन ने अमेरिकी विमानवाहक युद्धपोत और बमवर्षक विमानों के इस हवाई क्षेत्र से गुजरने पर कड़ा एतराज दिखाया था। इसके अलावा चीन अमेरिकी नौसेना के दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास पर एतराज जता चुका है। इतना ही नहीं बीजिंग इसे चीन की संप्रभुता का उल्लंघन करार दे चुका है। गौरतलब है कि चीन हमेशा से दक्षिण चीन सागर पर दावा ठोकता रहा है। इसके अलावा ब्रूनेई, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और ताइवान भी दक्षिण चीन में हिस्सेदारी का दावा करते रहे हैं।
जानें उस आईएनएस विराट के बारे में जिसका जिक्र पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमले के लिए किया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कारोबार में उठाना पड़ा 81 अरब रुपये से ज्यादा का नुकसान
समुद्र पर राज करता था वो, कभी था सबसे शक्तिशाली, नाम था 'विराट', जानें इसकी खासियत
अमेरिका से दोतरफा मार खाने के बाद चीन की निगाह भारत पर टिकी, ट्रेड वॉर है बड़ी वजह
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप