सुरक्षा के नाम पर मिलते रहे हैं सरकारी बंगले
पिछले सप्ताह खबर आई थी कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी को सुरक्षा के मद्देनजर सरकारी बंगला आवंटित किया जाने वाला है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि स्वामी को बगैर पात्रता के सरकारी बंगला आवंटित किया जाना गलत है।
नई दिल्ली। पिछले सप्ताह खबर आई थी कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी को सुरक्षा के मद्देनजर सरकारी बंगला आवंटित किया जाने वाला है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि स्वामी को बगैर पात्रता के सरकारी बंगला आवंटित किया जाना गलत है।
उल्लेखनीय है कि सुब्रमण्यम स्वामी को जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त है और सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि पूर्वी निजामुद्दीन स्थित उनके मौजूदा आवास में उनकी सुरक्षा को खतरा है। इसी रिपोर्ट के आधार पर शहर विकास मंत्रालय ने स्वामी के लिए सरकारी बंगला आवंटित जाने की प्रक्रिया शुरू की है।
विपक्षी दलों के राजनीतिक हमले के बाद शहरी विकास मंत्रालय से एक सूची जारी की है, जिसमें ऐसे नेताओं के नामों की जानकारी दी गई है, जिन्हें बगैर पात्रता के सरकारी बंगले आवंटित किए गए हैं। मंत्रालय का कहना है कि सुब्रमण्यम स्वामी को बंगला आवंटित करना कोई पहला मामला नहीं है।
पूर्ववर्ती सरकारों ने भी ऐसे कई लोगों को सरकारी आवास मुहैया कराए थे, जिनके जीवन को खतरा है। इस सूची में प्रियंका गांधी वाड्रा, जगदीश टाइटलर और बूटा सिंह का नाम भी शामिल है।
इन्हें आवंटित हैं सरकारी आवास:
प्रियंका गांधी वाड्रा : 14, तालकटोरा रोड (1996 में आवंटित)
अश्विनी कुमार (पंजाब केसरी अखबार के संपादक) : 1998
2008 में उन्होंने आवास खाली कर दिया था
बूटा सिंह : टाइप 7, तीन मूर्ति मार्ग (2006)
गौरतलब है कि प्रियंका गांधी को 1998 में पहला सरकारी बंगला आवंटित किया था। एक साल के भीतर ही उन्हें 35, लोधी एस्टेट में दूसरा बंगला आवंटित कर दिया गया था।
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि एक व्यक्ति को सरकारी आवास आवंटित करने पर हो-हल्ला करना उचित नहीं है। जबकि कई ऐसे लोगों को भी सुरक्षा के नाम पर सरकारी आवास आवंटित हैं, जिनका राजनीति से कोई लेन-देन नहीं है।