संसदीय समिति की सिफारिश से सहमत नहीं यूपीएससी
संसद की समिति ने सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के अंक तय करने का ब्यौरा सार्वजनिक करने की सिफारिश की है। हालांकि संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) और सरकार ने इसे नामंजूर कर दिया है।
नई दिल्ली : संसद की समिति ने सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के अंक तय करने का ब्यौरा सार्वजनिक करने की सिफारिश की है। हालांकि संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) और सरकार ने इसे नामंजूर कर दिया है।
इस मामले में कार्मिक, लोक शिकायत, कानून एवं न्याय विभाग से संबंधित संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट हाल ही संसद के पटल पर रखी गई। इसमें सिफारिश की गई है कि यूपीएससी को यह विचार करना चाहिए कि मार्क्स के मॉडरेशन (अंक तैयार करने) को सार्वजनिक किया जा सकता है या नहीं। ताकि आयोग की निष्पक्षता को लेकर सवाल न उठे और पारदर्शिता का जरूरी स्तर कायम रहे।
इसके जवाब में यूपीएससी ने कहा कि मॉडरेशन समेत मार्किंग व्यवस्था आयोग की मूल्यांकन प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा है। इसको लेकर अत्यधिक गोपनीयता बरती जाती है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने संसदीय समिति के समक्ष दिए गए यूपीएससी के जवाब से सहमति जताई है। डीओपीटी यूपीएसी का नोडल अथॉरिटी है।
मूल्यांकन का समय कम हो
संसदीय समिति ने यूपीएससी द्वारा सिविल सेवा परीक्षा के सुचारू संचालन का भी जायजा लिया। समिति ने कहा कि सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के समय में कमी नहीं हो पाई है। इससे परीक्षा के परिणाम घोषित होने को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। समिति ने कहा कि आयोग को मूल्यांकन का समय कम करने का प्रयास करना चाहिए।
इसके जवाब में यूपीएससी ने कहा कि वह समय पर परिणाम घोषित करने को लेकर प्रतिबद्ध है। आयोग के मुताबिक, उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में पिछले दो वर्षों में कमी आई है। मूल्यांकन का समय 2012 में 111 दिन था जो 2014 में घटकर 86 दिन रह गया। जबकि 2012 में सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा के 14,176 उम्मीदवारों की तुलना में 2014 में 16,279 उम्मीदवार हो गए। यूपीएससी हर साल प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार तीन चरणों में सिविल सेवा परीक्षा का संचालन करता है।