फरक्का एक्सप्रेस ट्रेन हादसे में कई मौत, ये है हादसे की बड़ी वजह
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक हादसा हरचंदपुर स्टेशन पर मेन लाइन और लूप लाइन के बीच प्वाइंट की सही सेटिंग न हो पाने के कारण हुआ प्रतीत होता है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मालदा टाउन-नई दिल्ली एक्सप्रेस ट्रेन हादसा प्रथम दृष्टया ट्रैफिक अथवा इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारियों की चूक दिखाई पड़ती है। रेल मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक हादसा हरचंदपुर स्टेशन पर मेन लाइन और लूप लाइन के बीच प्वाइंट की सही सेटिंग न हो पाने के कारण हुआ प्रतीत होता है। यही वजह है कि अधिकारियों ने उस रिले रूम को सील कर दिया है, जहां से प्वाइंट सेट किया जाता है। इस सिलसिले में एक कर्मचारी के निलंबन की भी चर्चा थी। लेकिन अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मालदा टाउन-नई दिल्ली एक्सप्रेस को हरचंदपुर स्टेशन पर रुकने के बजाय आगे रायबरेली जाना था। लेकिन जैसे ही ट्रेन ने स्टेशन यार्ड में प्रवेश किया उसके इंजन के अगले दो पहिये तो प्वाइंट को क्रास कर गए, लेकिन पिछले पहिये लड़खड़ा गए और इसी के साथ पीछे के सारे डिब्बों ने एक के बाद एक पलटना शुरू कर दिया। इससे प्रतीत होता है कि लूप और मेन लाइन के बीच इंटरलॉकिंग ठीक से नहीं हुई थी और टंग रेल (कैंची) और मेन लाइन के बीच में कुछ गैप शेष रह गया था। यह गलती कैसे हुई और किसने की इसकी जांच रिले रूम के डेटा के विश्लेषण से हो सकेगी।
एक संभावना यह बनती है कि पहले किसी ट्रेन को लूप लाइन पर डालने के लिए प्वाइंट सेट किया (जोड़ा) गया होगा। परंतु मालदा टाउन-नई दिल्ली एक्सप्रेस के आने से पहले उसे हड़बड़ी में रीसेट किया (खोला) गया। जबकि दूसरी संभावना टंग रेल के टूटने या टूटे होने की है। जो भी हो वस्तुस्थिति का सही पता रेलवे संरक्षा आयुक्त की जांच के बाद ही लग सकेगा।
इस बीच रेल मंत्रालय ने कहा है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे को छोड़ दें तो पिछले एक वर्ष में छोटे-मोटे हादसों को छोड़कर कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है। सच तो यह है कि 2016 के मुकाबले 2017 में दुर्घटनाओं में 40 फीसद की कमी आई है। वर्ष 2016 में जहां 314 ट्रेन दुर्घटनाओं में 192 लोग मारे गए थे। वहीं 2017 में केवल 187 ट्रेन दुर्घटनाएं हुर्ई और मात्र 97 लोग मौत का शिकार हुए।
यही नहीं, चालू कैलेंडर वर्ष के दौरान अप्रैल से सितंबर तक केवल 16 रेल हादसे में महज 18 लोगों की जान गई है। चार वर्षो में ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाएं भी 25 फीसद कम होकर सालाना 65 पर आ गई हैं।
लेकिन हरचंदपुर के हादसे ने किए-कराए पर पानी फेर दिया है। इससे इन चर्चाओं को बल मिला है कि ट्रेनों को लेट चलाकर भी रेलवे हादसों पर पूर्ण अंकुश नहीं लगा पा रहा है। यूनियनों को भी मौका मिल गया है जो लंबे अरसे से सेफ्टी श्रेणी में 1.42 कर्मचारियों की कमी का मुद्दा उठाती रही हैं। अब जाकर रेलवे ने एक लाख कर्मियों की भरती शुरू की है। मगर इसके सुपरिणाम कुछ सालों बाद प्राप्त होंगे।