बीस साल बाद निर्दोष साबित होकर घर पहुंचे विष्णु ने कहा - ...नही तो कर लेता आत्महत्या, जानें पूरी दर्दनाक कहानी
आगरा सेंट्रल जेल से रिहा विष्णु तिवारी बीस साल बाद ट्रेन से ललितपुर पहुंचा जहां स्वजन उसे लेने के लिए पहुंचे। गुरुवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए विष्णु ने बताया कि उस समय के भ्रष्ट सिस्टम के चलते उसे जेल जाना पड़ा।
ललितपुर, राज्य ब्यूरो। ललितपुर की कोतवाली महरौनी के ग्राम सिलावन निवासी विष्णु तिवारी को हाई कोर्ट ने 20 साल बाद दुष्कर्म व एससीएसटी एक्ट के मामले में निर्दोष साबित किया है। विष्णु अपने दो बड़े भाइयों व मां-बाप को खो चुका है। गुरुवार को आगरा जेल से रिहा होकर गांव पहुंचा तो स्वजन सहित गांव वालों ने उसका स्वागत किया। विष्णु ने बताया कि अगर वह कुछ दिन और रिहा नहीं होता तो आत्महत्या कर लेता, क्योंकि जेल में रहते-रहते उसके मन ने जेल की जिंदगी से छुटकारा पाने का मन बना लिया था।
आगरा जेल से रिहा होकर ललितपुर में अपने गांव पहुंचे तो हुआ स्वागत
आगरा सेंट्रल जेल से रिहा विष्णु तिवारी बीस साल बाद ट्रेन से ललितपुर पहुंचा, जहां स्वजन उसे लेने के लिए पहुंचे। गुरुवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए विष्णु ने बताया कि उस समय के भ्रष्ट सिस्टम के चलते उसे जेल जाना पड़ा। कहता रहा कि वह 17 साल का है, बालिग नहीं है और न ही उसने ऐसा कोई कृत्य किया है। बस पशुओं को लेकर थोड़ी बहुत पीड़ित पक्ष से बातचीत हुई थी। मामला झूठा होने के चलते तीन दिन तक पुलिस ने मामला नहीं लिखा। बाद में राजनीतिक दबाव के चलते दुष्कर्म और एससीएसटी एक्ट का मामला लिख लिया और जेल भेज दिया।
जमीन बेचकर जमानत के लिए पैसा खर्च किया
विष्णु तिवारी ने बताया कि पिता ने जमानत के लिए जमीन बेची और पैसा लगाया। इसी दौरान पिता को लकवा मार गया और वर्ष 2013 में उनकी और 2014 में मां की मौत हो गई। कुछ साल बाद बड़े भाई रामकिशोर और दिनेश की भी मौत हो गई। 2005 के बाद उससे मिलने के लिए 12 वर्ष तक कोई नहीं पहुंचा। वर्ष 2017 में छोटा भाई महादेव मिलने पहुंचा, तब उसे पता चला कि उसके मां-बाप और भाइयों की मौत हो गई है। वर्ष 2018 में विधिक सेवा के तहत अधिवक्ता ने उसकी ओर से हाईकोर्ट में केस लड़ा। इसी के चलते रिहाई संभव हो सकी।
ललितपुर, राज्य ब्यूरो। ललितपुर की कोतवाली महरौनी के ग्राम सिलावन निवासी विष्णु तिवारी को हाई कोर्ट ने 20 साल बाद दुष्कर्म व एससीएसटी एक्ट के मामले में निर्दोष साबित किया है। विष्णु अपने दो बड़े भाइयों व मां-बाप को खो चुका है। गुरुवार को आगरा जेल से रिहा होकर गांव पहुंचा तो स्वजन सहित गांव वालों ने उसका स्वागत किया। विष्णु ने बताया कि अगर वह कुछ दिन और रिहा नहीं होता तो आत्महत्या कर लेता, क्योंकि जेल में रहते-रहते उसके मन ने जेल की जिंदगी से छुटकारा पाने का मन बना लिया था।
आगरा जेल से रिहा होकर ललितपुर में अपने गांव पहुंचे तो हुआ स्वागत
आगरा सेंट्रल जेल से रिहा विष्णु तिवारी बीस साल बाद ट्रेन से ललितपुर पहुंचा, जहां स्वजन उसे लेने के लिए पहुंचे। गुरवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए विष्णु ने बताया कि उस समय के भ्रष्ट सिस्टम के चलते उसे जेल जाना पड़ा। कहता रहा कि वह 17 साल का है, बालिग नहीं है और न ही उसने ऐसा कोई कृत्य किया है। बस पशुओं को लेकर थोड़ी बहुत पीड़ित पक्ष से बातचीत हुई थी। मामला झूठा होने के चलते तीन दिन तक पुलिस ने मामला नहीं लिखा। बाद में राजनीतिक दबाव के चलते दुष्कर्म और एससीएसटी एक्ट का मामला लिख लिया और जेल भेज दिया।
जमीन बेचकर जमानत के लिए पैसा खर्च किया
विष्णु तिवारी ने बताया कि पिता ने जमानत के लिए जमीन बेची और पैसा लगाया। इसी दौरान पिता को लकवा मार गया और वर्ष 2013 में उनकी और 2014 में मां की मौत हो गई। कुछ साल बाद बड़े भाई रामकिशोर और दिनेश की भी मौत हो गई। 2005 के बाद उससे मिलने के लिए 12 वर्ष तक कोई नहीं पहुंचा। वर्ष 2017 में छोटा भाई महादेव मिलने पहुंचा, तब उसे पता चला कि उसके मां-बाप और भाइयों की मौत हो गई है। वर्ष 2018 में विधिक सेवा के तहत अधिवक्ता ने उसकी ओर से हाईकोर्ट में केस लड़ा। इसी के चलते रिहाई संभव हो सकी।
योगी सरकार का दिया धन्यवाद
विष्णु ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के समय लोगों को झूठे मामलों में जेल भेजा गया। जब योगी सरकार आई, तभी से उसे न्याय मिलने की आस जाग गई थी। केस लड़ने में घर और जमीन बिक गई। अब योगी सरकार से ही उम्मीद है कि वह उसको घर देगी और रोजगार उपलब्ध कराएगी।
विष्णु ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के समय लोगों को झूठे मामलों में जेल भेजा गया। जब योगी सरकार आई, तभी से उसे न्याय मिलने की आस जाग गई थी। केस लड़ने में घर और जमीन बिक गई। अब योगी सरकार से ही उम्मीद है कि वह उसको घर देगी और रोजगार उपलब्ध कराएगी।