उत्तर प्रदेश में समलैंगिक संबंधों के सर्वाधिक मुकदमे, जानिए दूसरे और तीसरे पर कौन
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार समलैंगिकता संबंधी अपराध के लिए बीते तीन साल में सर्वाधिक 2,195 मुकदमे वर्ष 2016 में दर्ज हुए।
नई दिल्ली, प्रेट्र। समलैंगिक संबंधों की आइपीसी की धारा 377 में दर्ज होने वाले मुकदमों में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर रहा जबकि केरल दूसरे नंबर पर। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा को रद कर दिया। अब इन मुकदमों के भविष्य को लेकर कानून के विशेषज्ञों में चर्चा शुरू हो गई है। सहमति के आधार पर बने संबंधों के आरोपियों को राहत मिलने की उम्मीद है।
सन 2014 से 2016 के बीच इस धारा में देश भर में कुल 4,690 मुकदमे दर्ज हुए। इसे आपराधिक यौन संबंध माना गया और अप्राकृतिक कृत्य करार दिया गया। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार समलैंगिकता संबंधी अपराध के लिए बीते तीन साल में सर्वाधिक 2,195 मुकदमे वर्ष 2016 में दर्ज हुए। इनमें से उत्तर प्रदेश में 999 मामले दर्ज हुए जबकि केरल में 207 मामले दर्ज हुए। देश की राजधानी दिल्ली में धारा 377 के तहत 183 मुकदमे दर्ज हुए। जबकि 2016 में महाराष्ट्र में 170 मुकदमे दर्ज हुए। 2015 में भी सर्वाधिक 239 मामले उत्तर प्रदेश में ही दर्ज हुए थे।
छह सितंबर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब इन मामलों में आरोपियों को राहत मिलने की उम्मीद पैदा हो गई है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। सहमति के आधार पर बने संबंधों के मामलो में यह राहत मिल सकती है। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने बालिग समलैंगिकों के रिश्तों पर आदेश दिया है।