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हाईकोर्ट के फैसले पर सरकार पसोपेश में

नगरीय निकायो के आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से प्रदेश सरकार पसोपेश मे है। कोर्ट के फैसले का असर भले ही निकाय चुनाव की प्रक्रिया पर नही पड़ा है लेकिन आरक्षण की अधिसूचना सही न ठहराते हुए जिस तरह से उस पर फिर से विचार कर उचित कार्रवाई कोकहा गया है उससे सरकार की मुश्किले खत्म होती नजर नही आ रही है।

By Edited By: Published: Tue, 05 Jun 2012 03:29 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jun 2012 04:29 AM (IST)
हाईकोर्ट के फैसले पर सरकार पसोपेश में

लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। नगरीय निकायों के आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से प्रदेश सरकार पसोपेश में हैं। कोर्ट के फैसले का असर भले ही निकाय चुनाव की प्रक्रिया पर नहीं पड़ा है लेकिन आरक्षण की अधिसूचना सही न ठहराते हुए जिस तरह से उस पर फिर से विचार कर उचित कार्रवाई कोकहा गया है उससे सरकार की मुश्किलें खत्म होती नजर नहीं आ रही हैं।

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दरअसल, निकाय चुनाव में पदों का आरक्षण नियमानुसार न होने को लेकर दायर याचिकाओं में उठाए गए सात बिंदुओं पर विस्तृत विचार करते हुए कोर्ट ने 23 मई को जारी आरक्षण संबंधी अधिसूचना को सही नहीं माना है। यद्यपि कोर्ट ने निकाय चुनाव की चल रही प्रक्रिया को रोकने या रद करने के संबंध में कोई फैसला नहीं सुनाया था। पहली जून को सुनाए गए फैसले में हाईकोर्ट ने इतना जरूर कहा है कि निर्वाचन आयोग व राज्य सरकार आरक्षण मामले में फिर से विचार कर उचित कार्रवाई करे।

सूत्रों के मुताबिक सरकार को कोर्ट की निकाय आरक्षण की अधिसूचना सही न ठहराए जाने की बात नागवार गुजरी है। वैसे तो कोर्ट के आदेश के आने के बाद से लगातार अवकाश ही चल रहा है लेकिन सूत्रों का कहना है अफसरों ने इस संबंध में बैठक की है। फैसले पर विधिक राय लेने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने तक पर विचार किया गया है। चूंकि कोर्ट ने आरक्षण मामले में फिर से विचार कर उचित कार्रवाई करने के लिए भी सरकार से कहा है इसलिए एक मत है कि एसएलपी दायर करने के बजाय विधिक राय लेकर फैसले पर सिर्फ विचार कर लिया जाए। जब कोई याचिकाकर्ता मामले को लेकर कोर्ट में जाए तब ही एसएलपी की जाए। इसके पीछे तर्क यह है कि जब कोर्ट ने चुनाव की प्रक्रिया को बनाए रखा है तब फिर सरकार अपनी तरफ से यूं ही क्यों पहल करे।

आशंका इसकी जतायी जा रही है कि एसएलपी में कहीं सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिली तो मुश्किल और बढ़ जाएगी। विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा निकाय चुनाव को पहला मानते हुए ही सरकार को आरक्षण के लिए 45 दिन का वक्त दिया था जबकि हाईकोर्ट ने दूसरा निकाय चुनाव मानते हुए ही आरक्षण की अधिसूचना गलत ठहरायी है। उम्मीद है कि मंगलवार को सचिवालय खुलने के बाद उक्त के संबंध में स्थिति साफ हो सकती है।

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