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अस्पतालों का सीएजी आडिट कराने के खिलाफ यूपी सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

यूपी सरकार ने मंगलवार को कोर्ट से याचिका पर शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया जिस पर कोर्ट ने अगले सप्ताह सुनवाई की मंजूरी दे दी।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 10 Apr 2018 10:31 PM (IST)Updated: Tue, 10 Apr 2018 10:31 PM (IST)
अस्पतालों का सीएजी आडिट कराने के खिलाफ यूपी सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट
अस्पतालों का सीएजी आडिट कराने के खिलाफ यूपी सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

माला दीक्षित, नई दिल्ली। सरकारी अस्पतालों में व्याप्त अव्यवस्था और मिले फंड के उपयोग की जांच के लिए अस्पतालों का सीएजी से स्पेशल आडिट कराने के हाईकोर्ट के आदेश को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। प्रदेश सरकार ने मंगलवार को कोर्ट से याचिका पर शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया जिस पर कोर्ट ने अगले सप्ताह सुनवाई की मंजूरी दे दी।

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प्रदेश सरकार मामले की जल्दी सुनवाई चाहती है क्योंकि हाईकोर्ट ने अदालत में झूठा हलफनामा दाखिल करने पर उत्तर प्रदेश सरकार में मेडिकल एजूकेशन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रजनीश दुबे व डाक्टर एसपी सिंह प्रिंसिपल मेडिकल कालेज के खिलाफ अवमानना नोटिस भी जारी कर रखा है। प्रदेश सरकार ने याचिका के साथ अवमानना नोटिस पर रोक लगाने की भी मांग की है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गत 9 मार्च को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य मे चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने और सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था और फंड के दुरुपयोग को रोकने के लिए बहुत सारे निर्देश जारी किये थे। जिसमें सरकारी अस्पतालों का सीएजी से स्पेशल आडिट कराना और दोषी पाए गए अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश शामिल था। प्रदेश सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है।

मंगलवार को प्रदेश की एडिशनल एडवोकेट जनरल ऐश्वर्या भाटी और राज्य सरकार के वकील अंकुर प्रकाश ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की। उनकी मांग पर कोर्ट ने मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई की मंजूरी दे दी लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने इसके साथ ही यूपी की पैरोकारी कर रहे वकील से टिप्पणी में कहा कि आपके खिलाफ बहुत से अवमानना के मामले हैं।

दाखिल याचिका में राज्य सरकार ने कहा है कि हाईकोर्ट का आदेश ठीक नहीं है। हाईकोर्ट का आदेश मनमाना है। आदेश कानून की निगाह में लागू होने लायक भी नहीं है। हाईकोर्ट ने जो आदेश पारित किया है उसकी याचिकाकर्ता ने मांग भी नहीं की थी। सरकार का कहना है कि हाईकोर्ट ने ज्यादातर निर्देश राज्य सरकार से संबंधित मामले में रिकार्ड और रिपोर्ट मंगाए बगैर ही जारी कर दिये हैं। हाईकोर्ट का अधिकारी रजनीश दुबे और डाक्टर एसपी सिंह को अवमानना की कार्यवाही के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने का आदेश ठीक नहीं है। सरकार का कहना है कि इलाहाबाद के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज ट्रामा सेंटर के बारे में उन लोगों ने सही हलफनामा दाखिल किया था।

क्या है हाईकोर्ट का आदेश

- सरकारी अस्पतालों में रिक्तियां भरने के संबंध में तत्काल कदम उठाए जाएं

- दवाईयों की आपूर्ति और मेडिकल देखभाल सुनिश्चित की जाए

- बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए एक रोड मैप तैयार किया जाए ताकि गरीबों को भी वैसा ही इलाज मिले जैसे रसूखदार और पैसे वाले लोगों को मिलता है

- अस्पतालों में बहुत सी खामियां पाई गई हैं। ऐसे मे स्टेट मेडिकल कालेज के तहत आने वाले अस्पतालों या प्रांतीय चिकित्सा सेवा के तहत आने वाले अस्पतालों का सीएजी से तत्काल स्पेशल आडिट कराया जाए। जांच मे अनियमितता के दोषी पाए गए अधिकारियों पर कार्रवाई हो

- इसके बाद जिला स्तर और उसके नीचे आने वाले अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों का स्पेशल आडिट हो

- मरीजों और तीमारदारों को अस्पताल में मुफ्त भोजन दिया जाए

- ट्रैफिक पुलिस सुनिश्चित करेगी कि मरीजों के आने जाने के लिए एंबुलेंस निकलने के लिए रास्ता साफ रहेगा।


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