पूर्व सैनिकों के अविवाहित और दिव्यांग बेटे भी होंगे स्वास्थ्य सेवाओं के लाभार्थी, रक्षा मंत्रालय का फैसला
रक्षा मंत्रालय ने ईसीएचएस के तहत पूर्व सैनिकों के 25 साल और उससे अधिक आयु के अविवाहित और दिव्यांग बेटों को लाभार्थी बनाने का फैसला लिया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। रक्षा मंत्रालय ने पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को हेल्थ केयर देने के लिए बनी स्कीम एक्स सर्विसमैन काट्रिब्यूट्री हेल्थ स्कीम (ईसीएचएस) के तहत पूर्व सैनिकों के 25 साल और उससे अधिक आयु के अविवाहित और दिव्यांग बेटों को लाभार्थी बनाने का फैसला लिया है। इस योजना के तहत परिवार के एक कोरोना पीडि़त मरीज को ऑक्सीजन देने का खर्च उठाने का भी एलान किया गया है।
उल्लेखनीय है कि अब तक पूर्व सैनिकों के 25 साल तक के अविवाहित, स्थायी रूप से दिव्यांग और वित्तीय रूप से आश्रित बेटों को इस स्वास्थ्य योजना का लाभ नहीं मिलता था। चूंकि उन्हें 25 साल का होने के बाद आश्रित नहीं माना जाता था। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गाय है कि ईसीएचएस के तहत केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सेवाओं (सीजीएचएस) नियमों के तहत यह फैसला लिया गया है।
बयान में एक जनवरी से लागू आदेश के तहत कहा गया है कि सीजीएचएस लाभार्थियों के ऐसे बेटों को अब आश्रित माना जाएगा जो 25 साल या उससे अधिक के अविवाहित और स्थायी रूप से दिव्यांग और वित्तीय रूप से आश्रित हैं। इसलिए उन्हें भी 5 मई, 2018 के स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण कार्यालय मेमोरेंडम के तहत यह सुविधा दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना यानी ईसीएचएस लाभार्थी के कोरोना से संक्रमित होने पर प्रति परिवार एक पल्स ऑक्सीमीटर की प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की गई है। लाभार्थियों को प्रति परिवार एक पल्स ऑक्सीमीटर की कीमत अदा की जाएगी। यानी ईसीएचसी लाभार्थी के परिवार में यदि एक से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हैं तो वे केवल एक ही पल्स ऑक्सीमीटर की कीमत का दावा कर सकते हैं।
कोरोना संक्रमण के मामले रोज बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि अच्छी बात यह है कि मरीजों के स्वस्थ होने का आंकड़ा भी तेजी के साथ बढ़ रहा है। महामारी से उबरने की दर बढ़कर 61.53 फीसद हो गई है और अब तक 4.56 लाख से अधिक मरीज ठीक होकर अपने घर भी लौट चुके हैं। अब तक सामने आए करीब साढ़े सात लाख संक्रमितों में से ढाई लाख से कुछ ही ज्यादा सक्रिय मामले रह गए हैं। जांच का दायरा भी तेजी के साथ बढ़ रहा है। अब तक एक करोड़ चार लाख से अधिक नमूनों की जांच की जा चुकी है।