केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने कहा- लोकतंत्र और बोलने की आजादी का पाठ न पढ़ाएं इंटरनेट मीडिया कंपनियां
भारत एक बड़ा डिजिटल बाजार है कोई समस्या नहीं है। आप प्रधानमंत्री की आलोचना करते हैं हमारी आलोचना करते हैं कड़े सवाल पूछते हैं लेकिन आप भारतीय नियमों को क्यों नहीं मानेंगे? भारतीय कंपनियां भी अमेरिकी नियम मानती हैं।
पुणे, प्रेट्र। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि इंटरनेट मीडिया कंपनियां भारत को लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी की नसीहत न दें। प्रसाद ने दो टूक तरीके से यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर लाभ कमाने वाली ये कंपनियां भारत में पैसा बनाना चाहती हैं तो उन्हें देश के संविधान और कानून को मानना होगा।
प्रसाद ने कहा- इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्मों का दुरुपयोग रुकना चाहिए
'इंटरनेट मीडिया और सामाजिक सुरक्षा तथा न्याय प्रणाली सुधार : एक अधूरा एजेंडा' विषय पर व्याख्यान देते हुए प्रसाद ने कहा कि नए आइटी दिशा-निर्देशों का संबंध इंटरनेट मीडिया के उपयोग से नहीं, बल्कि इसके प्लेटफार्मों द्वारा इसके दुरुपयोग और मनमानी रोकने से है।
दिशा-निर्देशों का उद्देश्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के कंटेंट को नियम-कायदों के दायरे में लाना
फरवरी में घोषित किए गए ये दिशा-निर्देश इंटरनेट मीडिया को लेकर यूजर्स को एक मंच प्रदान करते हैं जिसके जरिये वे अपनी शिकायतों का समाधान कर सकते हैं। इनका उद्देश्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के कंटेंट को नियम-कायदों के दायरे में लाना है। हम फेसबुक, वाट्सएप और ट्विटर को उनके कंटेंट के लिए अधिक जवाबदेह बनाना चाहते हैं।
शिकायतों के निपटाने के लिए अधिकारियों को नियुक्त करने को कहा गया, चांद तोड़कर लाने को नहीं
प्रसाद ने कहा कि नए नियमों के मुताबित इन कंपनियों को यूजरों की शिकायतों के निपटारे के लिए भारत में तीन अधिकारी-शिकायत निवारण अधिकारी, अनुपालन अधिकारी और नोडल अधिकारी नियुक्त करने हैं, कोई चांद तोड़कर नहीं लाना है।
भारतीय कंपनियां भी अमेरिकी नियम मानती हैं
प्रसाद ने कहा, 'क्या अमेरिका में काम करने वाली भारतीय कंपनियां वहां के नियमों को नहीं मानतीं? आप यहां अच्छा पैसा बनाते हैं, अच्छा मुनाफा कमाते हैं, क्योंकि भारत एक बड़ा डिजिटल बाजार है, कोई समस्या नहीं है। आप प्रधानमंत्री की आलोचना करते हैं, हमारी आलोचना करते हैं, कड़े सवाल पूछते हैं, लेकिन आप भारतीय नियमों को क्यों नहीं मानेंगे?'
संसदीय समिति ने फेसबुक की वर्चुअल बैठक की मांग ठुकराई
कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति ने शनिवार को इंटरनेट मीडिया कंपनी फेसबुक की वर्चुअल बैठक की मांग ठुकरा दी। कंपनी ने कोरोना संबंधी अपनी नीतियों का हवाला देते हुए बैठक के लिए व्यक्तिगत रूप से किसी अधिकारी को भेजने में असमर्थता जताई थी। बैठक की तारीख तय अभी तय नहीं है।
संसदीय समिति के चेयरमैन ने फेसबुक से उन अधिकारियों की सूची मांगी है, जिन्हें वह भेजना चाहती है। चेयरमैन ने कहा कि ऐसे अधिकारियों का टीकाकरण कराया जाएगा और उसके सामने पेश होने के लिए उन्हें पर्याप्त समय भी दिया जाएगा। समिति ने यह भी तय किया है कि यूट्यूब, गूगल जैसी अन्य इंटरनेट कंपनियों और वेब प्लेटफार्म को भी बैठक के लिए अपने प्रतिनिधियों को उसके सामने भेजना होगा।