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AIIMS Cyber Attack: केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एम्स साइबर अटैक को बताया बड़ी साजिश

इलेक्ट्रानिक्स व आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एम्स साइबर अटैक मामले को बड़ी साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि इस साजिश के पीछे किसी बड़े गैंग या किसी देश का भी हाथ हो सकता है। (File Photo)

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyPublished: Fri, 02 Dec 2022 10:30 PM (IST)Updated: Fri, 02 Dec 2022 10:30 PM (IST)
AIIMS Cyber Attack: केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एम्स साइबर अटैक को बताया बड़ी साजिश
केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एम्स साइबर अटैक को बताया बड़ी साजिश।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इलेक्ट्रानिक्स व आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एम्स साइबर अटैक मामले को बड़ी साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि इस साजिश के पीछे किसी बड़े गैंग या किसी देश का भी हाथ हो सकता है। उन्होंने कहा कि एनआईए, सीईआरटी, दिल्ली पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। वहीं, उनका मानना है कि आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर में कमी की वजह से एम्स में रैमसमवेयर जैसी घटना हुई है। इस प्रकार की घटना को रोकने के लिए मंत्रालय एम्स जैसी संस्थाओं के लिए आईटी स्टैंडर्ड तय करने जा रही है।

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मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक आईटी संबंधी सख्त गाइडलाइंस जारी किए जाएंगे और सिक्युरिटी मैनेजर नियुक्त किए जाएंगे। मंत्रालय की तरफ से भी इस प्रकार की संस्थाओं का आईटी ऑडिट किया जाएगा और बीच-बीच में औचक निरीक्षण भी किए जाएंगे। रैनसमवेयर की वजह से पिछले आठ दिनों से एम्स में ऑनलाइन कामकाज प्रभावित है। मरीजों को ओपीडी में दिखाने के लिए देर रात लाइन में खड़े होकर नंबर लगाना पड़ रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक एम्स जैसी स्वायत्त संस्थाएं आईटी सेवा के लिए निजी कंपनियों की सेवा लेती है। सेवा देने वाली कंपनियां कई सारे नियम का सख्ती से पालन नहीं करती हैं और इस वजह से ही रैनसमवेयर जैसी घटनाएं होती है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक अब सरकार से जुड़ी सभी स्वायत्त संस्थाओं के आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक स्टैंडर्ड बनाए जाएंगे और सख्त गाइडलाइंस भी जारी किए जाएंगे। मंत्रालय के स्टैंडर्ड व गाइडलाइंस के हिसाब से ही उन्हें अपने आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करना होगा। पिछले आठ दिनों से राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए), आईटी मंत्रालय के अधीन काम करने वाली इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी), दिल्ली पुलिस, सुरक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) जैसी संस्थाएं एम्स पर होने वाले साइबर अटैक की जांच कर रही है।

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) बिल के पारित हो जाने के बाद एम्स में होने वाली रैनसमवेयर जैसी वारदात भारी पड़ सकती है। बिल के मसौदे के मुताबिक संस्था की चूक से साइबर अटैक या रैनसमवेयर के दौरान डाटा हैकर्स के पास चला जाता है तो संस्था के खिलाफ कार्रवाई होगी। जिनका डाटा उस संस्था के पास है, उनके खिलाफ उपभोक्ता डाटा सुरक्षा बोर्ड में जा सकता है और संस्था को इस लापरवाही के लिए 500 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी हो सकता है।

हालांकि, मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि साइबर अटैक करने वाले एम्स का डाटा नहीं ले पाए हैं क्योंकि उसे इनक्रिप्ट कर दिया गया था। लेकिन भविष्य में एम्स जैसी घटना से डाटा सिक्युरिटी के उल्लंघन को लेकर कार्रवाई हो सकती है।बाक्सआपात स्थिति में ही सरकारी संस्थाओं को ग्राहकों की मंजूरी से छूटआईटी मंत्रालय के मुताबिक डीपीडीपी बिल में सरकार को भी किसी व्यक्ति के निजी डाटा के इस्तेमाल के लिए उस व्यक्ति से मंजूरी लेनी पड़ेगी। सिर्फ आपदा, सुरक्षा-कानून जैसी विशेष परिस्थिति में सरकार को किसी व्यक्ति के निजी डाटा का इस्तेमाल उसकी मंजूरी के बगैर कर सकेगी।

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