केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा- जल्द बदल जाएगी एमएसएमई की परिभाषा
केंद्रीय एमएसएमई व सड़क परिहवन मंत्री नितिन गडकरी ने वर्चुअल जागरण राउंड टेबल कार्यक्रम में इस बात का खुलासा किया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। माइक्रो, स्मॉल, मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमई) की परिभाषा जल्द ही बदलने जा रही है। केंद्रीय एमएसएमई व सड़क परिहवन मंत्री नितिन गडकरी ने वर्चुअल जागरण राउंड टेबल कार्यक्रम में इस बात का खुलासा किया। गडकरी ने बताया कि एमएसएमई की परिभाषा बदलने का प्रस्ताव उनके मंत्रालय की तरफ से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में इस संबंध में फैसला हो जाएगा। पिछले पांच सालों से एमएसएमई की परिभाषा बदलने की कवायद चल रही है। संसद में इस संबंध में बिल भी पेश किया गया, लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई। अब अध्यादेश के माध्यम से एमएसएमई की परिभाषा बदली जाएगी।
क्या होगी नई परिभाषा
बताया जाता है कि नई प्रस्तावित परिभाषा टर्नओवर के आधार पर होगी।
5 करोड़ रुपये तक माइक्रो
5 करोड़ से 75 करोड़ तक स्मॉल
75 करोड़ से 250 करोड़ तक मीडियम
अभी एमएसएमई को निवेश से लिंक करके परिभाषित किया जाता है।
25 लाख तक के निवेश वाले माइक्रो
सर्विस क्षेत्र के लिए यह सीमा 10 लाख रुपए तक की है।
25 लाख से 5 करोड़ तक के निवेश वाले स्माल श्रेणी में है।
सर्विस सेक्टर में 10 लाख से 2 करोड़ तक वाले स्माल श्रेणी में है
5 करोड़ से 10 करोड़ तक निवेश करने वाले मीडियम कहलाते हैं
सर्विस सेक्टर में यह सीमा 2 करोड़ से 5 करोड़ तक की है।
छोटे उद्यमियों के मुताबिक टर्नओवर के आधार पर नई परिभाषा से एमएसएमई को सरकार की तरफ से मिलने वाले लाभ से सैकड़ों ऐसे छोटे उद्यमी भी लाभान्वित होंगे जो अभी इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
कोरोना काल में छोटे उद्यमियों को तीन चीजों के ख्याल रखने की आवश्यकता
दैनिक जागरण की तरफ से आयोजित राउंड टेबल कार्यक्रम में गडकरी ने कहा कि कोरोना काल में मैन्यूफैक्चरिंग शुरू करने के लिए उद्यमियों को मुख्य रूप से तीन चीजों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। इनमें मास्क, दो लोगों के बीच एक मीटर की दूरी और सैनिटाइजर से हाथ साफ करना शामिल हैं। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि फिलहाल औद्योगिक उत्पादन शुरू करने के लिए जो दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, उनमें से कई व्यावहारिक नहीं है और उसे बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अभी हमें अपने जीने के अंदाज को बदलना होगा ताकि हम कोरोना वायरस को भी रोक सके और उत्पादन भी जारी रख सके।
इएसआइसी फंड से सैलरी देने पर विचार
वर्चुअल राउंड टेबल कांफ्रेंस में गडकरी ने बताया कि फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को इएसआइसी फंड से सैलरी देने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार में उच्च स्तर पर इस पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इएसआइसी फंड में 80,000 करोड़ रुपए जमा है। फैक्ट्री मालिक सरकार से इस बात की मांग कर रहे हैं कि वे उत्पादन नहीं होने के कारण अप्रैल से जून तक की सैलरी अपने कर्मचारियों को देने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में इन कर्मचारियों को इएसआइसी फंड से सैलरी दी जा सकती है।
दिल्ली-मुंबई कोरिडोर के किनारे औद्योगिक क्लस्टर
गडकरी ने बताया कि दिल्ली-मुंबई हाईवे के किनारे औद्योगिक क्लस्टर बनाए जा सकते हैं। इससे मुंबई जैसे बड़े शहरों पर जनसंख्या का दबाव कम होगा और नए प्रकार के स्मार्ट शहर व स्मार्ट विलेज के निर्माण में मदद मिलेगी। हालांकि गडकरी ने नए पैकेज को लेकर प्रधानमंत्री की घोषणा से पहले ही अपने विचार रखे लेकिन उन्होंने भी यह संकेत दिया कि हर राज्य और उसके अंदर छोटे छोटे अविकसित क्षेत्रों को आत्मनिर्भर बनना होगा।