केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने जगदलपुर में किया देश के पहले ट्राईफूड पार्क का उद्घाटन, कहा- आत्मनिर्भरता ही है देश की कसौटी
देश का पहला ट्र्ईफेड पार्क जगदलपुर मे शुरू हुआ। आदिवासियों को रोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि फारेस्ट एक्ट के तहत आदिवासियों को अपनी जमीन अपने वन उत्पादों पर अधिकार दिया गया है।
माला दीक्षित, जगदलपुर। आत्मनिर्भरता ही देश की कसौटी है। जब लोगों में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, तभी आत्मनिर्भर भारत सशक्त भारत बनेगा। यह बात केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में पहले ट्राई फूड पार्क का उद्घाटन करते हुए कहीं। दो दिन के दौरे पर छत्तीसगढ़ आए केन्द्रीय जनजातीय मंत्री ने शुक्रवार को फूडपार्क का उद्घाटन करते हुए कहा।
आदिवासियों को रोजगार से जोड़कर बनाया जाएगा आत्मनिर्भर
देश का पहला ट्र्ईफेड पार्क जगदलपुर मे शुरू हुआ। आदिवासियों को रोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि फारेस्ट एक्ट के तहत आदिवासियों को अपनी जमीन अपने वन उत्पादों पर अधिकार दिया गया है। ट्राईफेड के जरिए जनजातीय मंत्रालय की वन धन योजना का जिक्र करते हुए मुंडा ने कहा कि मेरा वन मेरा धन मेरा उद्यम और सबका साथ सबका विकास सरकार का उद्देश्य है। इसमें गाव को जोड़ना है। उसे और उभारना है, उसी क्रम मे वन धन योजना है। गांव की माताओं- बहनों को रोजगार का अच्छा अवसर देने का काम ट्राइफेड कर रहा है। 40 हजार से ज्यादा स्वयं सहायता समूह देश भर मे गठित हुए हैं और 40 हजार महिलाएं तो बस्तर से जुड़ी हैं। जन जंगल जमीन उनका मौलिक अधिकार है।
मधु से ज्यादा मधुमक्खी का ध्यान रखना है
केंद्रीय मंत्री ने लघु वनोपज के प्रसंस्करण से बाजार तक पहुंचाने के लिए ट्राईफेड द्वारा शुरू किए गए ट्राई फूड पार्क के बारे में कहा कि इस बिल्डिंग की सार्थकता तभी है, जब यह पूरी तरह यूटिलाइज हो। हमें इस बिल्डिंग का मूल्यांकन इसकी खूबसूरती से नहीं, इसकी उत्पादकता से करना है। आदिवासियों को उन्हीं की जगह बिना कोई नुकसान पहुंचाए रोजगार से जोड़ने और आर्थिक उत्थान के उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने कहा कि हमें मधु से ज्यादा मधुमक्खी का ध्यान रखना है क्योंकि मधु मधुमक्खी के बिना मधु नहीं हो सकता इसी तरह ट्राईफेड नए प्रयास से आदिवासियों को आगे बढ़ाने और उनके आर्थिक सशक्तिकरण का प्रयास कर रहा है।
फूड पार्क में बस्तर के करीब 40,000 आदिवासी बंधु जुड़े
इस मौके पर ट्राईफेड के एमडी प्रवीर कृष्णा ने कहा कि 2 वर्ष पहले यहां 26 एकड़ की एक वीरान जगह थी, जो आज फलता फूलता ट्राईफूड पार्क दिख रहा है। इस फूड पार्क में बस्तर के करीब 40,000 आदिवासी बंधु जुड़़े हुए हैं। इसमें 90 फीसद महिलाएं हैं यह फूड पार्क आने वाले दिनों में माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस यानी लघु वनोपज एक इंडस्ट्री का स्वरूप लेगा। इससे आदिवासियों की आमदनी 10 गुना बढ़ सकती है। जगदलपुर में शुरू हुआ ट्राई फूड पार्क देश का पहला ट्राईफूड पार्क है, जिसमें आदिवासियों द्वारा एकत्र की गई वनोपज का प्रसंस्करण करके बेहतर पैकेजिंग के जरिए बाजार तक पहुंचाया जाएगा।
देश में बनाए जाएंगे आठ फूड पार्क
इस फूड पार्क का निर्माण 2 साल पहले अगस्त 2019 में शुरू हुआ था। यह 2 साल में तैयार हो गया है और यहां काम शुरू हो गया है। ट्राईफेड की योजना देश में ऐसे आठ फूड पार्क बनाने की है, यह आठ फूड पार्क असम, मणिपुर, उड़ीसा, महाराष्ट्र, नागालैंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में प्रस्तावित हैं। ट्राई फूड परियोजनाओं का प्राथमिक उद्देश्य लघु वनोपज का प्रसंस्करण करके मूल्य श्रंखला के साथ सीधे खेत और जंगल से बाजार तक आधुनिक बुनियादी ढांचा और सुविधाएं प्रदान करना है।
कारीगरों और वनोपज संग्रह कर्ताओं को दिए पुरस्कार
इसमें जनजाति और वनीय क्षेत्रों के आसपास प्रसंस्करण के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है। फूड पार्कों की मुख्य विशेषता वन धन विकास केंद्रों के तहत स्थानीय जनजाति समुदाय द्वारा संग्रहित स्थानीय रूप में उपलब्ध लघु वन उपज के प्रसंस्करण की सुविधा प्रदान करना है, ताकि लघु वनोपज के मूल्यवर्धन से वन धन विकास केंद्रों को सीधे लाभ मिल सके और जनजातीय क्षेत्रों में आर्थिक विकास और पूरे वर्ष आजीविका के नए अवसर पैदा हो सकें।
ट्राई फूड परियोजनाएं मांग संचालित होंगी और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को भारतीय कानूनों के अनुसार सभी पर्यावरण और सुरक्षा मानकों को पूरा करने की सुविधा प्रदान करेंगी। फूड पार्क के उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने जनजाति लाभार्थियों कारीगरों और वनोपज संग्रह कर्ताओं की उपलब्धि के लिए वन धन प्राकृतिक पुरस्कार भी वितरित किए।