गृह सचिव राजीव महर्षि चुनाव आयुक्त पद के प्रबल दावेदार
एनडीए सरकार के भरोसेमंद अधिकारियों में गिने जाने वाले राजीव महर्षि इसी 31 अगस्त को गृह सचिव पद से रिटायर हो रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। चुनाव आयोग में आयुक्त के एक खाली पद पर नियुक्ति को लेकर सत्ता के गलियारे में चर्चाओं की गहमागहमी शुरू हो गई है। वर्तमान केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि को चुनाव आयुक्त के खाली पद के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर स्पष्ट कानून और प्रक्रिया तय करने के सुप्रीम कोर्ट के इरादों पर अंतिम फैसला होने से पहले चुनाव आयुक्त के एक खाली पद को भरना सरकार के लिए भी खास मायने रखता है।
एनडीए सरकार के भरोसेमंद अधिकारियों में गिने जाने वाले राजीव महर्षि इसी 31 अगस्त को गृह सचिव पद से रिटायर हो रहे हैं। प्रशासनिक क्षमता और सत्ता प्रतिष्ठान में उनकी पैठ को देखते हुए शीर्ष अफसरशाही के हलकों में महर्षि को चुनाव आयुक्त के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा। मुख्य चुनाव आयुक्त के पद से नसीम जैदी के रिटायर होने के बाद पिछले 5 जुलाई से ही आयुक्त का एक पद रिक्त है। जैदी की जगह दूसरे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति ने मुख्य चुनाव आयुक्त का पद संभाल लिया था। ज्योति गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं। ज्योति के साथ मध्यप्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ओमप्रकाश रावत दूसरे चुनाव आयुक्त हैं। तीसरे चुनाव आयुक्त का पद खाली है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी को देखते हुए आयोग में चुनाव आयुक्त के तीसरे पद पर नियुक्ति के लिए सरकार को भी गहन विचार मंथन के दौर से गुजरना होगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की मौजूदा प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए सरकार से स्पष्ट रुप से इसके लिए कानून बनाने व प्रक्रिया तय करने को कहा था।
सर्वोच्च अदालत ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं होने को लेकर दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान बीते 5 जुलाई को इस बारे में दिशा-निर्देश देते हुए यह भी कहा था कि यदि सरकार ने कुछ नहीं किया तो अदालत इसमें दखल देगी। लोकतंत्र में चुनाव आयोग की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का तर्क देते हुए यह याचिका दाखिल की गई है।
हालांकि सरकार ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया न होने की बात से इनकार करते हुए अदालत में कहा था कि इसकी एक मान्य प्रशासनिक प्रक्रिया है। मगर सर्वोच्च अदालत ने सरकार के तर्क से असमहति जताते हुए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कानून बनाने की अपनी बात कायम रखी। बहरहाल सरकार अभी पुराने नियम कायदों के हिसाब से ही चुनाव आयुक्त के मौजूदा एक खाली पद को भरेगी।
यह भी पढ़ें: वोट बैंक के लिए सरकार ने डेरा समर्थकों के सामने समर्पण कर दिया : हाई कोर्ट