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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा में बताया, एफसीआरए के तहत वर्तमान में 22,691 संगठन पंजीकृत

भाजपा सदस्य सुखबीर सिंह जौनपुरिया के ऐसे कुल पंजीकृत गैर सरकारी संगठन स्वैच्छिक संगठन स्कूल मदरसे जिन्होंने पिछले तीन वर्षो के दौरान विदेश से कोष हासिल किया है या कर रहे हैं संख्या के बारे पूछे गए सवाल के लिखित उत्तर में गृह राज्यमंत्री ने सदन को उक्त जानकारी दी।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 11:53 PM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 11:53 PM (IST)
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा में बताया, एफसीआरए के तहत वर्तमान में 22,691 संगठन पंजीकृत
गृह मंत्रालय ने कहा, आतंकी गतिविधियों से जुड़े एनजीओ के खिलाफ कार्रवाई करती है सरकार

नई दिल्ली, एएनआइ। देश में करीब 22,691 सक्रिय संगठन विदेशी अंशदान (नियमन) अधिनियम 2010 के तहत वर्तमान में पंजीकृत हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि इन संगठनों ने पिछले तीन साल के दौरान विदेश से कोष हासिल किया है या हासिल कर रहे हैं। आतंकी गतिविधियों से जुड़े एनजीओ, संगठनों के खिलाफ ही सरकार कार्रवाई करती है।

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भाजपा सदस्य सुखबीर सिंह जौनपुरिया के ऐसे कुल पंजीकृत गैर सरकारी संगठन (एनजीओ), स्वैच्छिक संगठन (वीओ), स्कूल, मदरसे जिन्होंने पिछले तीन वर्षो के दौरान विदेश से कोष हासिल किया है या कर रहे हैं, की संख्या के बारे पूछे गए सवाल के लिखित उत्तर में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सदन को उक्त जानकारी दी। गृह राज्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि एफसीआरए 2010 के तहत स्वैच्छिक संगठनों का ब्योरा गृह मंत्रालय द्वारा नहीं रखा गया है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि जब भी विदेशी अंशदान का आतंकी गतिविधियां फैलाने में इस्तेमाल करने से संबंधित इनपुट मंत्रालय को मिलता है तब एफसीआरए 2010 और अन्य संगत कानून एवं नियमों को अमल में लाया जाता है।

इससे पहले एफसीआरए 2010 के तहत पंजीकृत इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन नामक एनजीओ के आतंकी संगठनों के साथ संपर्क की जानकारी मिली थी। इस एनजीओ को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत रख दिया गया है।

विदेशी एनजीओ पर शिकंजा कसने के बाद आलोचना बढ़ी

भारत सरकार ने 2011-17 के बीच 18,868 एनजीओ का पंजीकरण रद कर दिया। एनजीओ विदेशी अंशदान (नियमन) अधिनियम 2010 और विदेशी अंशदान (नियमन) नियम 2011 के विभिन्न प्रविधानों का उल्लंघन करते पाए गए थे। सरकार ने एफसीआरए नियमों को कड़ा कर दिया जिसके परिणामस्वरूप भारत पहुंच रहे विदेशी कोष में भारी गिरावट आई। इसके बाद भारत की आलोचना बढ़ गई।


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