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केंद्र की दो टूक, CGHS पैनल के उन अस्पतालों पर होगी कार्रवाई जो करेंगे इलाज से इनकार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि कोरोना मरीजों का इलाज करने से इनकार करने वाले कोविड-19 अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 10 Jun 2020 06:18 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jun 2020 07:46 PM (IST)
केंद्र की दो टूक, CGHS पैनल के उन अस्पतालों पर होगी कार्रवाई जो करेंगे इलाज से इनकार
केंद्र की दो टूक, CGHS पैनल के उन अस्पतालों पर होगी कार्रवाई जो करेंगे इलाज से इनकार

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि कोरोना से संक्रमित एवं अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों का इलाज करने से इनकार करने वाले कोविड-19 और गैर कोविड-19 अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जो सीजीएचएस यानी केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना के पैनल में शामिल हैं। केद्र सरकार ने उक्‍त निर्देश सीजीएचएस (Central Government Health Scheme, CGHS) लाभार्थियों की शिकायतों पर जारी किए। लाभार्थियों ने योजना के तहत पैनल में शामिल निजी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज में होने वाली परेशानियों के बारे में शिकायत की थी।

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केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने सीजीएचएस लाभार्थियों की शिकायतों की समीक्षा के बाद यह निर्देश दिए हैं। मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सीजीएचएस पैनल में शामिल सभी अस्पतालों को जिन्हें राज्य सरकारों ने कोविड-19 के इलाज के लिए चिह्नित किया है वे सीजीएचसी लाभार्थियों के कोरोना संबंधी बीमारियों का भी इलाज करेंगे। सरकार ने दो टूक कहा है कि उक्‍त अस्‍पताल सीजीएचएस लाभार्थियों का इलाज करने या भर्ती लेने से इनकार नहीं करेंगे। यही नहीं इन अस्‍पतालों से सभी उपचारों के लिए नियमानुसार ही शुल्क वसूलने का भी निर्देश जारी किया गया है।

एक अधिकारी ने बताया कि इस सीजीएचएस (Central Government Health Scheme, CGHS)  योजना के अब तक करीब 36 लाख लाभार्थी हैं और 12 लाख कार्डधारी हैं। वहीं स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने कहा है 50 बेड से अधिक क्षमता वाले अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए 20 फीसद बेड आरक्षित किए जाने के बाद शिकायतें मिल रही हैं। लोग शिकायत कर रहे हैं कि कुछ निजी अस्पतालों ने सीजीएचएस के लाभार्थी कर्मचारियों के इलाज से इन्कार करने लगे हैं या फिर उनसे इलाज से पहले भारी भरकम रकम जमा कराने की मांग की जाती है। यहां तक कि पेंशनभोगियों से भी रकम की माग की जा रही है जबकि उन्हें कैशलेस इलाज मिलना चाहिए। 


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