उपभोक्ता हितों के साथ कोताही बरतने वाले राज्यों को केंद्र सरकार का अल्टीमेटम, तत्काल कारगर कदम उठाने के निर्देश
Union Govt to states over consumer interests केंद्र सरकार ने राज्यों से उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण की दिशा में काम करने को कहा है। केंद्र ने उपभोक्ता शिकायतों का निपटारा करने में पिछड़ने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आगाह किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उपभोक्ता संरक्षण में कोताही बरतने वाले राज्यों को केंद्र सरकार ने आगाह किया है। उपभोक्ता शिकायतों का निपटारा करने में पिछड़ने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से तत्काल कारगर कदम उठाने को कहा गया है। उपभोक्ता हितों का संरक्षण करने के लिए गठित नौ प्रदेशों के राज्य उपभोक्ता आयोगों के अध्यक्ष के पद और 50 से ज्यादा सदस्यों के पद रिक्त हैं। जिलास्तरीय उपभोक्ता आयोगों की हालत इससे ज्यादा खराब है। ऐसे में भला उपभोक्ताओं की शिकायतों का निपटारा कौन करेगा?
इन राज्यों में सर्वाधिक शिकायतें
इसे लेकर केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने संतोषजनक प्रदर्शन न करने वाले राज्यों से सख्त नाराजगी जताई है। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक राज्य उपभोक्ता आयोगों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों में उपभोक्ता संबंधी शिकायतों की संख्या सर्वाधिक है।
शिकायतों के निपटारे को लेकर बनाया दबाव
राज्यस्तरीय उपभोक्ता आयोग में लंबित मामलों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। इनके निपटारे को लेकर मंत्रालय लगातार दबाव बना रहा है। महाराष्ट्र जैसे राज्य में लंबित मामलों की संख्या बहुत ज्यादा है। दरअसल यहां की औरंगाबाद और नासिक सरकिट बेंच में लंबित शिकायतों की भरमार है। यहां शिकायतों के निपटारे का औसत इकाई अंक को पार नहीं कर पाया है। यहां साल दर साल लंबित शिकायतें बढ़ रही हैं।
यूपी में दर्ज शिकायतों में से मात्र 13 प्रतिशत का निपटारा
उत्तर प्रदेश में भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। यहां वर्ष 2021 के दौरान दर्ज शिकायतों में से मात्र 13 प्रतिशत का निपटारा हो सका है। राज्य उपभोक्ता आयोग में दर्ज शिकायतों के निपटारे की यह धीमी रफ्तार वर्ष 2018 से शुरू हुई है।
समीक्षा बैठक की
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इसी सप्ताह समीक्षा बैठक कर मामले की सुनवाई करने में कोताही बरतने वाले राज्यों को खरीखोटी सुनाई है। तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश में भी स्थितियां उपभोक्ताओं के हितों के अनुकूल नहीं है। इसके अलावा आधा दर्जन ऐसे राज्य भी हैं, जहां के राज्य उपभोक्ता आयोगों में शिकायतें कम दर्ज कराई जा रही हैं। मंत्रालय ने इसे भी गंभीरता से लिया है।
संतुलन बनाने की दरकार
ई-कामर्स से व्यापारिक प्रतिष्ठानों की ताकत बढ़ रही है, जबकि उसी अनुपात में उपभोक्ताओं की ताकत घट रही है। इसमें संतुलन बनाने की जरूरत है। इस गंभीर चुनौती से निपटने में उपभोक्ता आयोगों की अहम भूमिका होगी। - रोहित कुमार सिंह, सचिव, उपभोक्ता मामले