संघ के सह सरकार्यवाह होसबले ने कहा, समान नागरिक संहिता पर होनी चाहिए सार्वजनिक बहस
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर देश के विभिन्न क्षेत्रों में हुए विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए सरकार्यवाह ने कहा कि यह कानून किसी वर्ग के खिलाफ नहीं है लेकिन कुछ लोगों द्वारा उसे गलत तरीके से पेश किया गया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने रविवार को कहा किसमान नागरिक संहिता (UCC) पर सार्वजनिक बहस होनी चाहिए। इससे लोगों की राय पता चलेगी और सरकार के लिए भी यह करने में आसानी होगी कि इस पर विधेयक लाने का सही समय है या नहीं।
आरएसएस के स्थापना दिवस के मौके पर थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन की तरफ से आयोजित वर्चुअल परिचर्चा में शामिल होते हुए होसबले ने कहा कि यूसीसी का उल्लेख संविधान के राज्य नीति के निर्देशक सिद्धातों के तहत किया गया है। लेकिन देश के निर्माताओं ने इसके कार्यान्वयन के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की है। एक सवाल पर उन्होंने कहा, 'यह सरकार को तय करना है कि यूसीसी पर विधेयक लाने के लिए यह सही समय है नहीं। हमें पहले लोगों को इसके बारे में शिक्षित करना होगा।'
होसबले ने कहा कि समान नागरिक संहिता भाजपा और उसकी पूर्ववर्ती जन संघ दोनों की मांग रही है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस मुद्दे पर लोगों को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए इस पर उचित बहस होनी चाहिए, क्योंकि इससे धारणाएं स्पष्ट होंगी।
सह सरकार्यवाह ने कहा कि लोगों को अनुच्छेद 370 और 35ए के बारे में नहीं पता था। लोगों को शिक्षित करना अहम है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर देश के विभिन्न क्षेत्रों में हुए विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह कानून किसी वर्ग के खिलाफ नहीं है, लेकिन कुछ लोगों द्वारा उसे गलत तरीके से पेश किया गया।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बहस के गिरते स्तर पर जताई चिंता
सार्वजनिक बहस, खासकर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म (जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम) पर, के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए होसबले ने ट्रोलिंग की निंदा की। उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ तत्वों की टिप्पणियां किसी संगठन के विचारों या विचारधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं।
संघवाद को मजबूत किया जाना चाहिए
केंद्र और राज्यों के बीच राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर भी तकरार से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत में संघीय व्यवस्था है। संघवाद के विचारों को मजबूत किया जाना चाहिए, क्योंकि एक राष्ट्र के रूप में भारत की प्रगति और विकास के लिए ये आवश्यक है।