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जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के 13 एयरपोर्ट होंगे विकसित, उड़ान-4.0 योजना में इन राज्‍यों पर फोकस

जम्मू व कश्मीर तथा लद्दाख में एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए सरकार वहां के अप्रयुक्त व अल्प प्रयुक्त हवाई अड्डों से उड़ाने शुरू करने के लिए उनका विकास करेगी।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 07:22 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 07:22 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के 13 एयरपोर्ट होंगे विकसित, उड़ान-4.0 योजना में इन राज्‍यों पर फोकस
जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के 13 एयरपोर्ट होंगे विकसित, उड़ान-4.0 योजना में इन राज्‍यों पर फोकस

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जम्मू व कश्मीर तथा लद्दाख में एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए सरकार वहां के अप्रयुक्त व अल्प प्रयुक्त हवाई अड्डों से उड़ाने शुरू करने के लिए उनका विकास करेगी। इनमें जम्मू-कश्मीर के 11 अप्रयुक्त तथा लद्दाख के 2 अल्प प्रयुक्त एयरपोर्ट शामिल हैं। हाल ही में घोषित उड़ान-4 स्कीम में इसका प्रस्ताव किया गया है। जम्मू एवं कश्मीर के पुनर्गठन के साथ ही सरकार जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने की मुहिम में जुट गई है। इसके तहत इन दोनों राज्यों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विमानन मंत्रालय की बहुचर्चित 'उड़ान' (उड़े देश का आम नागरिक) स्कीम का सहारा लिया जा रहा है।

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जम्‍मू-कश्‍मीर के ये एयरपोर्ट शामिल

जम्मू एवं कश्मीर के 11 अप्रयुक्त एयरपोर्ट में अखनूर, चंब, चुशल, फुकचे, गुरेक्स, झांगड़, मिरान साहिब, पंजगाम, पुंछ, राजौरी तथा ऊधमपुर के नाम शामिल हैं। इनमें ऐसी हवाई पट्टियां एवं छोटे टर्मिनल आते हैं, जिनका इस्तेमाल न के बराबर है। केवल युद्ध या अन्य आपात स्थितियों में सेनाओं व सुरक्षा बलों द्वारा इनका उपयोग किया जाता है। इनके मुकाबले लद्दाख के करगिल और थोइस एयरपोर्ट का इस्तेमाल सेना व वायुसेना व सुरक्षा बलों द्वारा अक्सर किया जाता है। सरकार का इरादा इन रनवे को विकसित कर इन्हें नागरिक विमानन सेवाओं के योग्य बनाना है।

सरकार तीन साल तक करेगी एयरलाइनों के घाटे की भरपाई

जम्मू एवं कश्मीर के बारे में केंद्र सरकार ने पिछले दिनो कहा था कि पिछले सत्तर वर्षो में अनुच्छेद 370 के कारण राज्य को काफी नुकसान हुआ है। केंद्र सरकार इन नुकसान की भरपाई के लिए दोनों नवगठित केंद्र शासित प्रदेशों में विकास की रफ्तार को तेज करेगी। उड़ान-4 के अंतर्गत जहां सरकार तीन साल तक वायबिलिटी गैप फंडिंग के जरिए एयरलाइनों के घाटे की भरपाई करेगी। वहीं उन्हें एविएशन टर्बाइन फ्यूल एटीएफ की एक्साइज ड्यूटी पर तीन साल तक दो फीसद की तथा वैट पर दस साल तक 1 फीसद की रियायत प्रदान करेगी। इसके अलावा एयरलाइन आपरेटर्स को टर्मिनल, नेवीगेशन, लैंडिंग चार्ज तथा अन्य शुल्कों में भी छूट दी जाएगी। स्कीम में जम्मू व कश्मीर तथा लद्दाख के इन एयरपोर्ट पर एयरलाइनों को विमानों में ईंधन भरने की सहूलियत के लिए विशेष इंतजामों का भी प्रस्ताव है।

उड़ान-4.0 योजना में इन राज्‍यों पर है फोकस

सरकार ने मंगलवार को उड़ान-4.0 की घोषणा की थी। इसमें जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लक्षद्वीप, अंडमान व निकोबार तथा पूर्वोत्तर राज्यों समेत देश के पर्वतीय इलाकों पर फोकस किया गया है। इसके तहत एयरलाइनों को 1 जनवरी, 2020 तक प्रस्ताव तथा 13 जनवरी तक जवाबी प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। दोनो तरह के प्रस्तावों के अध्ययन के आधार पर विमानन मंत्रालय 31 जनवरी, 2020 तक रूट के अनुसार एयरलाइनों का चयन करेगा।

उड़ान-4.0 योजना का मकसद

'उड़ान' की शुरुआत अक्टूबर, 2016 में की गई थी। इसका मकसद छोटे शहरों को परस्पर तथा बड़े शहरों के साथ हवाई सेवाओं से जोड़ने तथा आम आदमी को किफायती विमान सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए की गई थी। इसमें एयरलाइनों को छोटे विमानों व हेलीकाप्टरों का उपयोग करते हुए 500 किलोमीटर या एक घंटे की दूरी के लिए अधिकतम 2500 रुपये का किराया वसूलने की छूट दी गई है। इसमें एयरलाइनों को करों व शुल्कों में छूट के अलावा सरकार की ओर से वॉयबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के जरिए घाटे की भरपाई का भी प्रावधान है। इससे पहले योजना के तीन चक्रों के तहत एयरलाइनों को 688 रूटों पर उड़ाने संचालित करने की इजाजत दी जा चुकी है।


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