आखिरकार छत्तीसगढ़ में वनवासियों का सच हुआ जल, जंगल और जमीन पर अधिकार का सपना
सरगुजा पहला जिला है जहां वनवासियों को जल जंगल जमीन पर अधिकार मिला है।
असीम सेनगुप्ता, अंबिकापुर। लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार सरगुजा (छत्तीसगढ़) के वनवासियों को जंगल पर सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन का अधिकार मिल गया है। सरगुजा पहला जिला है जहां वनवासियों को यह अधिकार मिला है। वनवासी इसकी लंबे समय से मांग कर रहे थे। जिले के 10 गांवों की छह हजार हेक्टेयर वन भूमि व जंगल का अधिकार मिलने से ग्रामीण इसके उपयोग का एकाधिकार रहेगा। जंगल को सुरक्षित रखते हुए उससे कमाई के लिए विकसित करने की बड़ी जवाबदारी ग्रामीणों पर रहेगी। इससे जंगल की अवैध कटाई भी करने की उम्मीद की जा रही है।
आजीविका संवर्धन पर रहेगा जोर
ग्रामीण जंगलों को आजीविका संवर्धन केंद्र के रूप में विकसित करेंगे। इसके प्रबंधन व संसाधन पर ग्रामीणों का अधिकार होगा। ग्रामीण वन विभाग से समन्वय के साथ हर्रा, बहेरा, आंवला, महुआ, तेंदूपत्ता, चार (चिरौंजी) के उत्पादन की पहल कर सकेंगे। इससे उन्हें आय अर्जित होगा और आर्थिक रूप से वे सशक्त हो सकेंगे।
सेदम का जंगल है उदाहरण, ग्रामीणों ने रखा है सुरक्षित
सरगुजा जिले के बतौली ब्लॉक के सेदम का जंगल एक उदाहरण है। इसको सालों से ग्रामीणों ने सुरक्षित रखा है। महिला-पुरष जंगल की सुरक्षा करते है। पेड़ों की कटाई पर लगे प्रतिबंध की जानकारी आसपास के पूरे क्षेत्र को है।
इन गांवों के वन संसाधन पर ग्रामीणों का अधिकार
लखनपुर ब्लॉक के ग्राम लोसगा, जामा, सेलरा, सिकरिया, रेम्हला, तिरकेला, करइ व उदयपुर ब्लॉक के बनकेसमा, बुले और बतौली ब्लॉक के करदना आदि गांव विशेष संरक्षित जनजाति बाहुल्यता वाले है।
वनवासियों के हित में बड़ा काम हुआ
वनवासियों के हित में यह बड़ा काम हुआ है। एक गांव को लगभग छह सौ हेक्टेयर वन भूमि का अधिकार मिला है। जंगल प्रबंधन और संसाधनों का अधिकार ग्रामीणों का रहेगा। वन विभाग सहयोगी के रूप में कार्य करेगा। इस व्यवस्था से दूसरे गांव वाले भी जागरूक होंगे और इसके रकबे में वढ़ोत्तरी होगी-संजीव झा, कलेक्टर, सरगुजा।