सोनिया और राहुल गांधी को भी गाना पड़ सकता है 'उज्ज्वला' गान
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी अपने क्षेत्र में उज्जवला योजना के क्रियान्वयन को लेकर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर दिख सकते हैं।
नई दिल्ली, [आशुतोष झा]। चाहे अनचाहे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना की सफलता में हाथ बंटाना पड़ सकता है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दोनों को पत्र लिखकर उनके अपने संसदीय क्षेत्रों में बीपीएल परिवारों के बारे में जानकारी देने और उनको उज्ज्वला योजना से जोडऩे का अग्रहरि है।
जाहिर है कि अगर कांग्र्रेस नेताओं ने चुप्पी साधी तो वह अपने क्षेत्र में ही गरीबों के कठघरे में खड़े हो सकते हैैं। लिहाजा यह सुनिश्चित करने के लिए मजबूर हो सकते हैैं कि अपने अपने क्षेत्रों में उज्ज्वला योजना के क्रियान्वयन के वक्त प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उनकी मौजूदगी भी दिखे।
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उज्जवला योजना के तहत बीपीएल परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए जाने का प्रावधान है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उत्तर प्रदेश के बलिया से ही इसकी शुरूआत की है। पहले साल में डेढ़ करोड़ गरीबों तक इसे पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है और भाजपा सांसदों को इसकी जिम्मेदारी भी दी गई है कि वह सुनिश्चित करें कि इसका लाभ बीपीएल परिवारों तक पहुंचे ही नहीं यह भी संदेश जाए कि भाजपा सरकार की पहल से उनकी रसोई धुंआ से मुक्त हुई है। स्वतंत्रता के लगभग 70 साल बाद यह संभव हुआ है। इसमें कोई शक नहीं कि उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव में भी यह एक बड़ा मुद्दा होगा।
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ऐसे में यूं तो प्रधान ने उत्तर प्रदेश से आने वाले सभी सांसदों को पत्र लिखा है लेकिन सोनिया और राहुल का जिक्र खास है। ध्यान रहे कि राहुल की ओर से यह आरोप लगाया जाता रहा था कि मोदी सरकार संप्रग के कामकाज को ही भुना रही है। कई योजनाओं का तो वह मखौल भी उड़ाते रहे हैैं। ऐसे में उज्जवला की सफलता के लिए सरकार के साथ ही मैदान में उतरना थोड़ा असहज हो सकता है। अगर वह प्रधान के पत्र का सकारात्मक जवाब नहीं देते हैैं तो उसका राजनीतिक असर भी दिख सकता है। चूंकि मामला सीधे संसदीय क्षेत्र से जुड़ता है इसलिए ज्यादा गंभीर है। अगर इसमें शामिल होते हैैं तो यह मानना भी पड़ेगा कि मोदी सरकार ने गरीबों के हितों के लिए बड़ी पहल की है।
बताते हैैं कि सरकार धीरे धीरे दूसरे राज्यों के सांसदों को भी पत्र लिखेंगे। यानी सभी दलों के सांसदों को चाहे अनचाहे साथ खड़ा होना पड़ सकता है। ध्यान रहे कि 8000 करोड़ की इस योजना के तहत अगले तीन साल में पांच करोड़ गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन दिया जाना है।