सूर्य नमस्कार की आड़ में धार्मिक प्रथा को लागू कराना चाहता है यूजीसी, छात्र संगठन ने लगाया आरोप
गणतंत्र दिवस के अवसर पर यूजीसी ने छात्रों को सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने का आग्रह किया है जिसपर कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष ने ऐतराज जताया है। उन्होंने इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण की उपेक्षा करते हुए छद्म विज्ञान को बढ़ावा देने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास बताया।
नई दिल्ली, एएनआइ। गणतंत्र दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा छात्रों को 'सूर्य नमस्कार' का अभ्यास करने के आग्रह पर छात्र संगठन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष ने ऐतराज जताया है। उन्होंने इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण की उपेक्षा करते हुए छद्म विज्ञान को बढ़ावा देने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास बताया। अब्दुल हादी ने बुधवार को कहा कि यूजीसी का आदेश संविधान द्वारा परिकल्पित वैज्ञानिक स्वभाव के विपरीत है। उन्होंने कहा कि देश भर में विभिन्न कालेज के छात्रों के लिए स्वास्थ्य अभ्यास की आड़ में एक धार्मिक प्रथा को लागू करना, धर्मनिरपेक्ष देश के मूल्यों का भगवाकरण करने के लिए भाजपा शासन के प्रयास को दर्शाता है।
आदेश को तुरंत वापस लेने को कहा
उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में आरएसएस-भाजपा हिंदुत्व शासन से संविधान की रक्षा के लिए गणतंत्र दिवस मनाया जाना है। इसलिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने यूजीसी के आदेश की निंदा की और परिषद से इसे तुरंत वापस लेने का आग्रह किया।
'आजादी का अमृत महोत्सव' के जश्न के लिए किया गया है आग्रह
बता दें कि हादी की टिप्पणी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा छात्रों से गणतंत्र दिवस के अवसर पर 'सूर्य नमस्कार' का अभ्यास करने का आग्रह करने के बाद आई है। 26 जनवरी को भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाने के लिए, यूजीसी ने देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों को इस सामूहिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कहा है, जो केंद्र सरकार के 'आजादी का अमृत महोत्सव' का एक हिस्सा है। इस कार्यक्रम की योजना राष्ट्रीय योगासन स्पोर्ट फेडरेशन (एनवाईएसएफ) द्वारा बनाई गई थी, जो देश भर के लगभग 30,000 उच्च शिक्षा संस्थानों में चलेगा और इसमें 300,000 से अधिक छात्र शामिल होंगे। यह कार्यक्रम सात फरवरी तक चलेगा।