NEP: विश्वविद्यालयों में जल्द शुरू होंगे चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम, यूजीसी ने पूरी की तैयारी
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जल्द ही कुछ बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। फिलहाल जो बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा उनमें चार वर्षीय पाठ्यक्रमों की शुरूआत है। जिसकी सिफारिश राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी की गई थी। File Photo
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जल्द ही कुछ बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। फिलहाल जो बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, उनमें चार वर्षीय पाठ्यक्रमों की शुरूआत है। जिसकी सिफारिश राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी की गई थी। इसके तहत विश्वविद्यालयों और कालेजों में छात्रों को तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रमों के साथ ही अब चार वर्षीय स्नातक कोर्स में दाखिला लेने का विकल्प मिलेगा।
पाठ्यक्रम को लेकर यूजीसी ने पूरी की तैयारी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसे लेकर अपनी तैयारी पूरी कर ली है। साथ ही संकेत दिए है कि सोमवार तक इसे लांच किया जा सकता है। विश्वविद्यालयों और कालेजों में शुरू होने वाले इस चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में छात्रों को किसी भी एक विषय में स्पेशलाइजेशन करने के साथ ही कभी भी छोड़ने और शामिल होने का विकल्प भी मिलेगा। इस चार वर्षीय स्नातक कोर्स में सभी स्तरों पर क्रेडिट स्कोर भी तय कर दिया है। जिसमें प्रत्येक सेमेस्टर के 20 क्रेडिट मिलेंगे।
नई नीति में छात्रों को मिलेंगे फायदे
इसके अलावा भी अगर कोई छात्र एक साल के भीतर ही अपनी पढ़ाई छोड़ेगा, तो उसके तहत उसे सर्टिफिकेट मिलेगा, जबकि दो वर्ष पूरा करने पर डिप्लोमा और तीन वर्ष यानी छह सेमेस्टर पूरा करने पर तीन वर्षीय स्नातक डिग्री मिलेगी। वहीं जो छात्र चार वर्ष तक पढ़ाई करेंगे, तो उन्हें स्नातक (आनर्स) की डिग्री मिलेगी। साथ ही उन्हें एक साल की पढ़ाई के बाद ही पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री प्रदान की जाएगी। यूजीसी चेयरमैन डा एम जगदीश कुमार के मुताबिक इस चार वर्षीय स्नातक कोर्स को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है।
छात्रों को मिलेगा खूब मौका
साथ ही इसका पूरा क्रेडिट फ्रेमवर्क भी तैयार कर लिया गया है। चार वर्षीय इस स्नातक कोर्स के दौरान कोई भी छात्र शोध और दूसरे स्पेशलाइज कोर्स भी कर सकेगा। जिसका उसे अलग से क्रेडिट मिलेगा। इसके बाद उन्हें शोध कार्यों में प्राथमिकता मिलेगी। इस चार वर्षीय स्नातक कोर्स में दाखिला लेने वाले प्रत्येक छात्र को अनिवार्य रूप से कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही उसे इंटर्नशिप भी कराया जाएगा। यानी स्नातक करने के बाद भी अब छात्र बेकार नहीं घूमेगा। उन्हें अपने पसंदीदा क्षेत्र में मौजूद स्किल के आधार पर नौकरी मिल सकेगी।