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यूजीसी ने बदला नियम, बैकफुट पर आए तेजी दिखाने वाले विश्वविद्यालय,शिक्षकों की भर्ती में होगी और देरी

शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में होगी और देरी पहले विज्ञापन जारी कर चुके विश्वविद्यालयों को अब यूजीसी के नए नियमों के तहत सहायक प्राध्यापकों की न्यूनतम योग्यता का जारी करना होगा विज्ञापन। यूजीसी के नए नियमों में सहायक प्राध्यपकों के लिए पीएचडी नहीं होगी अनिवार्य।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 10:06 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 10:06 PM (IST)
यूजीसी ने बदला नियम, बैकफुट पर आए तेजी दिखाने वाले विश्वविद्यालय,शिक्षकों की भर्ती में होगी और देरी
यूजीसी के नियम बदलने से बैकफुट पर आए तेजी दिखाने वाले विश्वविद्यालय।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भले ही अक्टूबर तक की समयसीमा दे रखी है, लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है। वैसे भी जिन विश्वविद्यालयों ने इसमें तेजी दिखाई थी, वह भी यूजीसी के नए नोटीफिकेशन के बाद बैकफुट पर आ गए है। जिसमें सहायक प्राध्यापकों की न्यूनयम योग्यता में से पीएचडी की अनिवार्यता से राहत दे दी गई है। यानी अब पीएचडी जरूरी नहीं होगी। इनके लिए सिर्फ नेट (नेशनल एलिजबिलटी टेस्ट) जरूरी होगा।

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इस बीच शिक्षकों की भर्ती के लिए जो विश्वविद्यालय 12 अक्टूबर से पहले विज्ञापन जारी कर चुके है, उन्हें अब नए सिरे से यूजीसी के नए नोटीफिकेशन के आधार पर नया विज्ञापन जारी करना होगा। ऐसे में पूरी प्रक्रिया में फिर से और समय लगेगा। खासबात यह है कि यूजीसी ने सहायक प्राध्यापकों की न्यूनतम योग्यता के मापदंडों में बदलाव से जुड़ा यह नोटीफिकेशन 12 अक्टूबर को जारी किया था। जिसमें सहायक प्राध्यपक पद के लिए अगले दो सालों तक पीएचडी की अनिवार्यता से राहत मिलेगी। यूजीसी के मुताबिक यह फैसला कोरोना संकट को देखते हुए लिया गया है। छात्रों की मांग थी, कि कोरोना सकंट में संस्थानों के बंद होने से समय पर पीएचडी पूरी नहीं हो पायी है। फिलहाल यह फैसला कोरोना संकट में समय पर पीएचडी न कर पाने वाले छात्रों के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है।

भर्ती की लंबी प्रक्रिया

विश्वविद्यालयों से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक वैसे भी शिक्षकों के खाली पदों को भरने की जो समय-सीमा दी गई है, उनमें भर्ती प्रक्रिया का पूरा होना मुश्किल है। विज्ञापन जारी होने के बाद भी आवेदन के लिए कम से 45 दिन तक समय दिया जाता है। इसके साथ ही भर्ती की एक लंबी प्रक्रिया है। जिसमें पहले खाली पदों को भरने के लिए विश्वविद्यालयों की कार्यसमिति से मंजूरी लेनी होती है, बाद में विज्ञापन जारी होता है। इसके बाद भर्ती के लिए एक उच्च स्तरीय चयन समिति का गठन होता है। जो मेरिट के आधार पर इस भर्ती प्रक्रिया को अंतिम रूप देती है।

करीब आधा दर्जन केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पूर्णकालिक कुलपति नहीं

विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने की राह में अकेले सिर्फ यही उलझन नहीं है, बल्कि इन खाली पदों को भरने का फैसला सिर्फ पूर्णकालिक कुलपति की मौजूदगी में ही हो सकता है। ऐसे में मौजूदा समय में जेएनयू, बीएचयू सहित करीब आधा दर्जन ऐसे केंद्रीय विश्वविद्यालय है, जिसमें अभी पूर्णकालिक कुलपति ही नहीं है। ऐसे में यह भर्ती को कोई फैसला ले ही नहीं सकते है। हालांकि शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की माने तो यूजीसी के नोटीफिकेशन के बाद शिक्षकों के खाली पदों को भरने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। ज्यादातर विश्वविद्यालय अपने विज्ञापन जारी करने की तैयारी में जुटे है। गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश में करीब 50 केंद्रीय विश्वविद्यालय है।अकेले इनमें ही शिक्षकों के करीब 63 सौ पद खाली है।


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