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उद्धव बोले, अजमेर के दीवान को मिले भारत रत्न

शिव सेना अध्यक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के दीवान जैनुल अबेदीन अली खान के बीते शनिवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री परवेज अशरफ के इस पवित्र स्थल पर आने का खुलकर विरोध करने पर उनकी तारीफ की है। उद्धव ने सोमवार को पार्टी के मुखपत्र सामना में छपे एक लेख में लिखा है, 'देशभक्ति की भावना

By Edited By: Published: Mon, 11 Mar 2013 02:35 PM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2013 02:46 PM (IST)
उद्धव बोले, अजमेर के दीवान को मिले भारत रत्न

मुंबई। शिव सेना अध्यक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के दीवान जैनुल अबेदीन अली खान के बीते शनिवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री परवेज अशरफ के इस पवित्र स्थल पर आने का खुलकर विरोध करने पर उनकी तारीफ की है।

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उद्धव ने सोमवार को पार्टी के मुखपत्र सामना में छपे एक लेख में लिखा है, 'देशभक्ति की भावना और देश प्रेम से उन्होंने यह दिखा दिया है कि वह देश के सच्चे रत्न हैं और उन्हें भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जाना चाहिए। दीवान खान के साहस, उत्तम और बेजोड़ मानवीय कदम की प्रशंसा करते हुए उद्धव ने कहा, 'उन्होंने [दीवान] यह महसूस किया होगा कि पाक प्रधानमंत्री के लिए धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करना, उन भारतीय जवानों की स्मृतियों का अपमान करने जैसा होगा, जिनकी पाकिस्तानी सेना ने हाल में बर्बर हत्या कर दी थी।'

उद्धव ने कहा, 'बावजूद इसके भारतीय विदेश मंत्री ने अशरफ का जोरदार स्वागत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और उनके लिए शाही दावत का आयोजन भी किया। शिव सेना के इस शीर्ष नेता ने कहा कि अशरफ के जाने के बाद लोगों ने उन रास्तों की सफाई की, अजमेर में वह जहां-जहां गए। दीवान का यह कदम देश के अतिवादियों के साथ-साथ सरकार की भी आंख खोलने वाला और नई परंपरा विकसित करने वाला है।

उद्धव ने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा कि पाकिस्तान जिस तरह अपने देश की तारीफ करने वाले भारतीयों को निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित करता है उसी तरह भारत भी ऐसा कर सकता है। उद्धव ने कहा, 'तब दीवान को इस चलन का विरोध करने और पाक नेता के खिलाफ कड़ा रवैया अपनाने के लिए क्यों न भारत रत्न दिया जाए? दीवान का यह कदम देश के आम मुसलमानों के लिए प्रेरणा और उनमें साहस भरने का काम कर सकता है।'

गौरतलब है कि दीवान ने आठ सौ साल पुराने अजमेर के सूफी दरगाह में अशरफ के निजी धार्मिक दौरे का बहिष्कार किया था और दरगाह के मौलवियों ने उनका दान लेने से मना कर दिया था। हालांकि प्रधानमंत्री अशरफ, उनकी पत्नी नुसरत और उनके साथ 20 अन्य लोगों ने यहां जियारत की थी। अशरफ ने इस मकबरे पर वेल्वेट 'चादर' और फूल चढ़ाए।

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