Udaipur Murder Case: उदयपुर में हुई घटना पर मुस्लिम बुद्धिजीवियों और जानकारों ने कहा, ऐसे लोग भारत में रहने लायक नहीं
दस दिन पहले भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा के समर्थन में 8 साल के बेटे के सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने पर दर्जी की उदयपुर में मंगलवार को दिनदहाड़े बर्बर तरीके से हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद हिन्दू संगठनों में आक्रोश व्याप्त हो गया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजस्थान के उदयपुर में हुई घटना को मुस्लिम बुद्धिजीवियों और जानकारों ने इस्लाम विरोधी बताया है। घटना को निंदनीय करार देते हुए आरोपितों को सख्त से सख्त देने की वकालत तक की है। इस्लामिक जानकारों का साफ कहना है कि इस तरह की घटना को अंजाम देने वालों को न तो इस्लाम स्वीकार करता है और न ही समाज स्वीकार करता हैं। कानून तो हिंसा की इजाजत ही नहीं देता है। इंडियन मुस्लिम फार प्रोग्रेसिव एंड रिफार्म के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमजे खान ने कहा कि इस तरह की घटना को अंजाम देने वाले लोग भारत में रहने लायक नहीं हैं। पैंगबर के नाम पर ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों ने उनके जीवन से कुछ सीखा ही नहीं है। पैंगबर तो हर समय माफी की वकालत करते थे। बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी उदयपुर की हत्या की घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह घटना इस्लाम और देश के कानून के खिलाफ है।
मुस्लिम बुद्धिजीवियों और जानकारों ने मानवता और इस्लाम विरोधी बताया
मौलाना आजाद विश्वविद्यालय जोधपुर के पूर्व प्रोफेसर अख्तर उल वासे ने कहा कि यह घटना पूरी तरह से निंदनीय है। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती। अगर, किसी को किसी के शब्दों से आपत्ति है तो उसके लिए न्यायिक प्रक्रिया है हमें उसका सहारा लेना चाहिए। मेरी लोगों से अपील है कि शांति बनाए रखें। शांति सद्भाव बिगड़ने से उन लोगों का लाभ होता है जो हमें परेशान देखना चाहते हैं।
कहा, पैंगबर के नाम पर ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों ने उनके जीवन से कुछ सीखा ही नहीं
मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्विद्यालय हैदराबाद के पूर्व कुलाधिपति फिरोज बख्त अहमद ने इस घटना को निंदनीय बताते हुए इसे इस्लाम विरोध बताया है। उन्होंने कहा कि इस घटना की जितनी निंदा की जाए, उतनी कम है, क्योंकि यह घटना एक शैतानी, गैर इंसानी, गैर इस्लामी और गैरकानूनी है। अपराधियों को कानून की पेंचदिगियों से ऊपर उठकर उसी प्रकार की सजा देनी चाहिए जैसे कुछ अरब देशों में दी जाती है। उन्होंने कहा कि भारत में कुछ लोग तालीबानी, आइएसआइएस और अफगानी मानसिकता वाले हैं। इनके कारण भारत में इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं।
घटना न तो मानवीय रूप से ठीक है और न ही धार्मिक रूप
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के दिल्ली प्रदेश संयोजक हाफिज सबरीन ने कहा कि यह घटना न तो मानवीय रूप से ठीक है और न ही धार्मिक रूप। पूरी तरह से इस घटना की हम निंदा करते हैं। आरोपितों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। मेरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग है कि देवी देवताओं का अपमान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक सख्त कानून भी बनाए। इंडियन मुस्लिम फार प्रोग्रेसिव एंड रिफार्म के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमजे खान ने कहा कि इस तरह की घटना को अंजाम देने वाले लोग भारत में रहने लायक नहीं है। यह लोग इस्लाम के नाम पर इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं। जिन पैंगबर के नाम पर यह लोग ऐसी निंदनीय घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं उन्होंने कुछ उनके जीवन से सीखा ही नहीं है। पैंगबर तो हर समय माफी की वकालत करते थे।
पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग ने कहा कि मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं। यह किसी भी सभ्य समाज के लिए स्वीकार्य नहीं है। यह पवित्र पैगंबर की शिक्षाओं के विपरीत है। हम मुसलमान इस घटना पर खेद व्यक्त करते हैं। यह दोनों अपराधी मुसलमान नहीं हैं। इन्हें कानून के मुताबिक जल्द से जल्द सजा होनी चाहिए।
जनरल (सेवानिवृत्त) ज़मीरुद्दीन शाह ने कहा कि यह पागलपन है। पवित्र पैगंबर ने हमेशा माफ कर दिया। यह सांप्रदायिक तनाव पैदा करेगा जो मुसलमानों द्वारा वहन किया जाएगा। मैं इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता हूं।
शाही इमाम फतेहपुरी मस्जिद के मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि यह एक गैर-इस्लामी और अवैध कार्य है। इसकी निंदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। कानून के अनुसार इन दोनों को सजा मिलनी चाहिए। इस्लाम ऐसी किसी भी हरकत की इजाजत नहीं देता।
मुस्लिम बुद्धिजीवी प्रो अख्तर वासे ने कहा कि हिंसा कोई समाधान नहीं है बल्कि अपने आप में एक समस्या है। हमें लोगों को यह कहने का मौका नहीं देना चाहिए कि हम हैं हिंसक। किसी भी धर्म, किताब या उसकी मान्यताओं के नेताओं का अपमान नहीं किया जाना चाहिए।
बिहार, झारखंड, ओडिशा के पूर्व नाजिम और इमारते शरिया मौलाना अनीस-उर-रहमान कासमी ने कहा कि ऐसी कोई भी घटना कानून ही नहीं इस्लाम की नजर में भी गलत है। इसलिए हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। हत्यारों जल्द से जल्द दंड दिया जाना चाहिए।
बिहार के इदारा शरिया के अध्यक्ष मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि कानून को अपने हाथ में लेने को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता। धार्मिक नफरत किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है। न तो धर्म और न ही हमारे देश का संविधान हमें कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति देता है। देश की न्यायपालिका पर विश्वास बनाए रखें।